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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मिलना पिता से पुत्र का! ५५ ___ 'चाचा... मेरा एक काम कर दोगे? इस हौज का पानी मैं उस कुएँ में ले जाना चाहता हूँ... इसके लिए मैं छोटी सी नाली बना डालता हूँ... तुम रहट से पानी निकाल कर हौज में भरते रहो... हौज का पानी नाली के जरिये कुएँ में भरेगा, तो अपने आप वह गोबर का कंडा तैर कर ऊपर आ जाएगा... और उस कंडे में से अंगूठी निकाल कर मैं आराम से पहन लूँगा। राजा का मंत्री बनने पर... सचमुच, चाचा! मैं तुम्हें मालामाल बना दूंगा!' रहट चलानेवाले आदमी को लड़का इतना पसंद आ गया था कि उसकी बात उसने तुरंत मान ली। उसने अपने घर से लाकर कुल्हाड़ी दी अभय को। अभय ने देखते ही देखते नाली खोद डाली। नाली के जरिये हौज का पानी कुएँ में गिरने लगा! दो घंटे में तो कुआँ भर गया... वह सूखा हुआ गोबर का कंडा पानी में तैरता हुआ ऊपर आ गया। अभय ने लकड़ी से उस कंडे को अपनी ओर खींचा। उसमें चिपकी हुई अंगूठी को निकालकर अपनी उंगली में पहन ली! ___ भीड़ में खड़े लोग तो लड़के की बूढ़ों को शरमा दे वैसी अक्लमंदी देखकर दाँतों तले उंगली दबा गये। भीड़ में राजा के आदमी भी खड़े थे। उन्होंने अविलंब सारी बात महाराजा श्रेणिक को पहुँचा दी। राजा तुरंत घोड़े पर सवार होकर वहाँ आया। राजा ने अभय को देखा । अभय से नजरें मिलते ही श्रेणिक के दिल में अनायास स्नेह का सागर हिलोरे लेने लगा। अभय की सुंदर मुखाकृति देखकर राजा खुश हो उठा। उसने अभय को अपने पास बुलाया और उसके कंधे पर हाथ थपथपाते हुए कहा : 'वत्स, तू कहाँ से आ रहा है? कहाँ का रहनेवाला है?' अभय ने कहा : 'मैं बेनातट नगर का रहनेवाला हूँ... और वही से चला आ रहा हूँ!' राजा ने चौंकते हुए पूछा : 'बेनातट नगर से?' 'जी हाँ!' राजा ने पूछा : 'तू किसका लड़का है?' अभय ने कहा : 'मैं प्रजापाल राजा का लड़का हूँ।' राजा ने पूछा : 'तू उस नगर में धन सेठ को पहचानता है?' अभय ने कहा : 'हाँ... जरूर! पहचानता हूँ।' For Private And Personal Use Only
SR No.009639
Book TitleRajkumar Shrenik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages99
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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