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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सुनन्दा १४ ‘पर सेठ, तुम्हें मुझ से क्या स्वार्थ है? मैं एक अनजान परदेशी ठहरा!' कुमार ने पूछा। सेठ ने कहा : 'कुमार, कल रात में किसी देव ने आकर स्वप्न में मुझ से कहा : 'ओ धनसेठ, सबेरे सूर्योदय के बाद ढाई घंटे बीतने पर पूर्व दिशा की ओर से कोई बीस साल की उम्र का सुंदर युवान तेरी दुकान पर आएगा। उसने सफेद कपड़े पहन रखे होंगे। वह युवान तेरी सभी आपत्तियों को दूर करेगा।' ऐसा स्वप्न देकर देव तो बरसाती बिजली की भाँति अदृश्य हो गया। सुबह में उठकर मैंने सोचा कि 'यह स्वप्न उत्तम है। स्वप्नशास्त्र के मुताबिक देव, ब्राह्मण, गाय, माता, पिता, साधु और राजा इतने लोग स्वप्न में जो कुछ कहें, वह सही समझना। सच मानना।' कुमार ने पूछा : 'सेठ, तुम स्वप्नशास्त्र जानते हो क्या?' सेठ ने कहा : हाँ भाई! एक ज्ञानी महात्मा ने मुझे स्वप्नशास्त्र सिखलाया है। तुझे सुनना है...? स्वप्न में गाय, घोड़ा, हाथी और देव काले रंग के दिखाई दे तो अच्छा... इसके अलावा यदि कुछ काला दिखाई दे तो वह नुकसान करनेवाला होता है। कपास, छाछ, नमक यदि सफेद दिखाई दे तो बुरी... इसके अलावा जो सफेद दिखाई दे वह अच्छा होता है! सपने में जो गीत गाता है... सबेरे उठकर उसे रोने के समाचार मिलते हैं! स्वप्न में जो नाचता है... सबेरे उठने पर उसके हाथ पैरों में बेड़ियाँ लगती हैं | स्वप्न में जो हँसता है... वह जगकर रोता है। जो स्वप्न में पढ़ाई करता है... उसके जाग्रत होने पर आपत्ति घेर लेती है।' कुमार ने सोचा : 'ये सेठ भोले हैं... जो जानते हैं... वह सब कह देते हैं... कुछ भी छुपाते नहीं हैं!' कुमार ने दुकान के पिछवाड़े हिस्से में एक वस्तु का ढेर देखा और चौंकते हुए सेठ से पूछा : 'सेठ, यह क्या है? किसकी है यह?' For Private And Personal Use Only
SR No.009639
Book TitleRajkumar Shrenik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages99
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size1 MB
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