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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४२ पहेलियाँ आज यहाँ, सब से पहले अमरकुमार कोई बौद्धिक समस्या प्रस्तुत करेगा और राजकुमारी उस समस्या को अपनी बुद्धि की कुशलता से सुलझायेगी। अमरकुमार तीन समस्याएँ रखेगा सुरसुंदरी के आगे | सुरसुंदरी उसका जवाब देगी। इसके बाद कुमारी तीन समस्याएँ रखेगी अमरकुमार के समक्ष और अमरकुमार को उसका जवाब देना होगा। आखिर में मैं एक-एक समस्या अमरकुमार और सुंदरी दोनों से पूछूगा। उसका जवाब अमरकुमार और सुरसुंदरी देंगे। इस ढंग से आज का कार्यक्रम होगा।' राजसभा में हर्षध्वनि हुई। सभी ने प्रसन्न मन से राजा के प्रस्ताव को स्वीकार किया। ___ अमरकुमार ने खड़े होकर सर्वप्रथम महाराजा को प्रणाम किया। बाद में पंडितजी के चरणों की वंदना की और बाद में पिता का आशीर्वाद ग्रहण किया। अमरकुमार ने अपनी पहेली - समस्या पेश की। 'तीन अक्षर का एक शब्द है। उस शब्द का यदि पहला अक्षर निकाल दें, तो बाकी दो अक्षरों से जो शब्द बनता है उसे किसी भी व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। तीन अक्षर के उस शब्द में से दूसरा अक्षर निकाल दें, तो जो शब्द बनेगा वह शब्द किसी को बोलना नहीं चाहिए। तीन अक्षर में से अंतिम अक्षर निकाल दें, तो बचे हुए अक्षर का अर्थ होगा लक्ष्मीपति! तीन अक्षर का यह संपूर्ण शब्द, तुम्हारी आँखों की उपमा देने योग्य है।' सुरसुंदरी एकाग्र मन से समस्या सुन रही थी। वह खड़ी हुई। महाराजा और पंडितजी के चरणों में प्रणाम किये और जवाब दिया : 'तीन अक्षर का वह शब्द है 'हरिण' ।' 'ह' को काट दें तो 'रिण' बचेगा। रिण का अर्थ है कर्जा । यह किसी के भी नहीं करना चाहिए । 'रि' को यदि निकाल दें तो 'हण' रहेगा यह शब्द हिंसा की आज्ञा करता है। अतः किसी भी को नहीं बोलना चाहिए । 'ण' के बिना जो शब्द बनेगा वह होगा 'हरि' यानि कृष्ण, वे लक्ष्मीपति हैं हीं! वैसे ही युवती स्त्रियों के नेत्रों को हरिण की उपमा मृगनयनी, हरिणाक्षी के रूप में दी जाती है। सभाजनों ने प्रसन्न होते हुए तालियाँ बजा-बजा कर सुंदरी को बधाई दी। अमरकुमार ने दूसरी पहेली पूछी : तीन अक्षर के शब्द में से पहला अक्षर निकालने पर बाकी बचा शब्द सफेद पृथ्वीकाय का परिचायक है। दूसरे अक्षर से रहित जो शब्द बनेगा वह किसी For Private And Personal Use Only
SR No.009637
Book TitlePrit Kiye Dukh Hoy
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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