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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra चोर ने मचाया शोर www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अपने बेटे को मेरे साथ भेज, मैं उसे पैसे दे देता हूँ। कर..... नाई ने अपने बेटे को भेज दिया उसके साथ । चोर उसके बेटे को लेकर धनसार सेठ की दुकान पर गया । धनसार सेठ की कपड़े की बड़ी दुकान थी । वहाँ जाकर उसने क़ीमती कपड़ा खरीदा... और फिर सेठ से कहा : 'ן २३० ‘सेठ, मैं कपड़ा घर पर रखकर पैसे लेकर तुरंत आता हूँ... तब तक मेरा बेटा यहाँ बैठा है' नाई के बेटे को वहाँ पर बिठाकर चोर कपड़े की गठरी लेकर अपने स्थान पर चला गया। गया सो गया । इधर सल्लू का बेटा घर पर नहीं आया तो सल्लू उसे खोजने के लिए निकला। उसने बाजार में सेठ की दुकान पर अपने बेटे को बैठा हुआ देखा। बेटा भी बाप को देखकर लिपट गया बाप से और रोने लगा...!' जब सेठ को सारी बात का पता लगा तो उसकी छाती फटने लगी... 'अरे... सल्लू वह चोर तो मुझे लूट गया!' ‘सेठ तुम्हें अकेले को थोड़े ही लूटा है। मुझे भी लूट गया ।' ‘आया बड़ा लुटनेवाला! मुर्ख, तेरे तो खाली हजमात के पैसे गए... हज़ारो रूपयों का कपडा वह ले गया !' विमलयश तो पेट पकड़कर हँसने लगा ! ‘वाह भाई वाह! मालती, तेरा यह चोर गज़ब का खिलाड़ी है... नाई से हजामत करवाई और उसकी भी हजामत कर डाली! फिर क्या हुआ ? और कौन आया उसे पकड़ने के लिए?' मेरा तो ‘एक परदेशी सौदागर और वह कामपताका वेश्या!' 'हाँ, वेश्याएँ बड़ी चतुर होती हैं इन मामलों में ! पकड़ लिया होगा उसने चोर को !' 'अच्छा, तो वह भी ठगी गयी क्या ?' 'अकेली नहीं... परदेशी सौदागर के साथ... दोनों ठगे गये!' For Private And Personal Use Only ‘क्या पकड़ेगी वह? मक्खी पकड़ेगी... मक्खी ! अरे ... क्या हाल हुए हैं उसके तो ?' 'सुना भाई सुना... सारी वारदात...!' उस चोर को मालूम पड़ गया कि उसे पकड़ने का बिड़ा किसने उठाया है। उसने एक व्यापारी का भेस बनाया। सुंदर क़ीमती कपड़े पहने.... और
SR No.009637
Book TitlePrit Kiye Dukh Hoy
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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