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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आखिर 'भाई' मिला! १४७ लुटेरे नाचते-कुदते हुए सुरसुंदरी को लेकर पल्ली की ओर चल दिये। सुरसुंदरी ने अपनी मानसिक शान्ति और धैर्य को सहेज लिया था। वह निश्चित होकर चल रही थी। जिसे मौत से डर न हो उसे फिर फिक्र किस बात की? जैसे कि सुरसुंदरी इन सभी आफतों की आदी हो गयी थी। पल्ली आ गयी। मशालों का प्रकाश था । सुरसुंदरी ने प्रकाश में लुटेरों के अड्डे की जगह को देख लिया। लुटेरे उसे एक मकान में ले गये। मकान क्या, मिट्टी का बनाया हुआ झोंपड़ा था। ___ मकान में घुसते ही उसने पल्लीपति को देखा... पलभर तो सुरसुंदरी भय से काँप उठी। उसे लगा वह किसी क्रूर बधेरे की गुफा में आ फँसी हो। पल्लीपति का शरीर एकदम स्थूल व भोंडा सा लग रहा था। उसके शरीर में रीछ से बाल उगे हुए थे। उसकी आँखे बड़ी-बड़ी और डरावनी थी । शरीर पर एक मात्र काला कपड़ा उसने लपेट रखा था, जो कि उसके शरीर के रंग में समा गया था। उसके समीप ही खून से सनी हुई दो तलवारें रखी हुई थीं। एक मैली-सी गोदड़ी पर वह करवट के बल लेटा हुआ था। लुटेरों के साथ रूपसी औरत को देखकर वह तुरंत उठ बैठा : 'अरे वाह! दोस्तो... यह क्या चीज़ ले आये हो आज?' 'मालिक, जंगल में से मिली है... परी है परी! देवलोक की अप्सरा से भी ज्यादा सुंदर लाये हैं आपके लिए सरदार!' पल्लीपति आँखें फाड़कर जैसे सुरसुंदरी को कच्ची ही निगल जानेवाला हो, उस तरह घूर रहा था। सुरसुंदरी नज़र झुकाये हुए खड़ी थी। _ 'सचमुच परी है, यह तो। मैं इसे मेरी पत्नी बनाऊँगा | जाओ, आज तुम्हें चोरी में जो भी माल मिले... वह सब तुम्हारा । हम तुम्हारे पर खुश हैं।' लुटेरे खुश-खुश होकर नाचते हुए चले गये। पल्लीपति खड़ा हुआ। सुरसुंदरी के करीब आया। 'देख सुंदरी। मैं इस पल्ली का मालिक हूँ... तुझे मैं अपनी औरत बनाऊँगा। तू मेरी रानी बनेगी। इस पूरे इलाके की महारानी! वाह! फिर क्या मजा आएगा! 'अपना मुँह बंद कर | और मुझसे दूर खड़े रहना, यदि खैरियत चाहता हो तो।' सुरसुंदरी ने घुड़कते हुए कहा।। 'तुझे मालूम है छोकरी, तू किससे बात कर रही है...?' For Private And Personal Use Only
SR No.009637
Book TitlePrit Kiye Dukh Hoy
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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