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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८१ बड़ों का कहा मानो 'अज्ञान से, आलस से या लापरवाही से काम बिगड़ने के बाद, आदमी कितनी भी कोशिश करता फिरे... पर वह सफल नहीं हो पाता है! सरोवर में से पानी बह जाने के बाद किनारा बाँधने से क्या फायदा?' युवा हंसो ने कहा : 'ओ दादाजी, हम तो अज्ञान बच्चे हैं... भोले हैं, पर आपके ही हैं। आप हमारे ऊपर दया करें... आप अपने स्वस्थ दिमाग से सोचकर हमें बचाने का कोई कारगर उपाय बताइये । स्वस्थ चित्त में बुद्धि पैदा होती है।' बूढ़े हंस को महसूस हुआ : 'अब इन जवानों का गर्व गल गया है। अब वे सीधा ही चलेंगे। अतः उसने जाल में से छूटने का उपाय बताया : 'मेरे प्यारे बेटों, तुम जरा ध्यान देकर मेरी बात सुनना । जब शिकारी आये तब तुम बिल्कुल मुरदे होकर पड़े रहना! शिकारी को लगेगा कि तुम सब मर गये हो । यदि उसे ऐसा लगा कि तुम जिन्दा हो तो वह तुम्हारी गरदन मरोड़मरोड़ कर फेंक देगा। इसलिये तुम मर जाने का दिखावा करना । तुम्हें मरा हुआ समझकर वह तुम्हें जमीन पर फेंक देगा । जैसे ही तुम जमीन पर गिरो... कि तुरंत ही उड़ जाना। पर एक बात ध्यान में रखना, शिकारी तुम सबको नीचे फेंक दे... बाद में ही तुम सब एक साथ ही उड़ना...!' सभी हंसों ने वृद्ध हंस की बात मान ली : 'दादा, जब आप कहोगे कि 'उड़ जाओ!' तभी हम सब साथ में उड़ जायेंगे।' प्रभात में जब शिकारी आया तब उसने सभी हंसों को जाल में फँसे हुए और मरे हुए पाया। पेड़ पर चढ़कर वह एक-एक हंस को जमीन पर फेंकने लगा। सभी हंसों को नीचे फेंक दिये। वृद्ध हंस जो बगल के पेड़ पर बैठा था, उसने कहा : 'उड़ जाओ!' - और सभी हंस फुर्रर्र... करके उड़ गये। शिकारी तो हक्का-बक्का सा रह गया...! पंख फैलाकर उड़ते हुए हंसों को मुँह बाये हुए शिकारी बेचारा देखता ही रहा! बूढ़े-बुजुर्गों का कहा मानने से, बड़ों की बात मानने से सुख मिलता है। आफतें टलती है। हमेशा बड़ों का कहना मानो । For Private And Personal Use Only
SR No.009636
Book TitleMayavi Rani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages155
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size1 MB
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