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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्र ८ चेतन, परमात्मा के ये सारे नाम, परमात्मा के स्वरूप को और उनके प्रभावों को बताने वाले हैं। परन्तु ये नाम मात्र बुद्धि से समझने के नहीं हैं। अनुभव से समझने के हैं। एम अनेक अभिधा धरे, अनुभव गम्य विचार! ते जाणे तेहने करे, आनन्दघन अवतार! ___ अभिधा का अर्थ है नाम | धर्मग्रन्थों का सहारा लेकर, प्रत्येक नाम में छुपा हुआ अर्थ अनुभव से प्राप्त करने का है। शास्त्रों का काम मात्र दिशानिर्देशन का होता है। इसलिए शास्त्र के शब्दों को लेकर वाद-विवाद करना व्यर्थ है। अनुभव के मार्ग पर चलने का अभ्यास करना चाहिए। अनुभव से जो इन नाम-गुणों का साक्षात्कार करता है, वह 'आनन्दघन-अवतार' पाता है, यानी मोक्षदशा प्राप्त करता है। चेतन, परमात्मा सुपार्श्व, भवसागर पर पुल [Bridge] हैं। पुल के दोनों किनारे [Side] 'सु' हैं यानी मजबूत हैं। 'सुपार्श्व' शब्द का कितना सुन्दर श्लेष बताया है। संसार और सिद्धि के बीच परमात्मा पुल हैं। उस पुल पर निर्भयता से चलना है। दोनों पार्श्व सुरक्षित हैं। नीचे गिरने का कोई भय नहीं है। हाँ, संसार सागर में कोई कंचन-कामिनी का आकर्षण हो जाय और मनुष्य स्वेच्छा से नीचे गिर पड़े, वह बात अलग है। ___ पुल पर चलते रहो, सिद्धि का लक्ष्य रखते हुए । परमात्मा की आज्ञाओं का अपनी-अपनी भूमिका के अनुसार पालन करना, वह है पुल पर चलना। परमात्मा की आज्ञाओं का पालन करने की शक्ति मिलेगी, परमात्मा के चरणों में समग्रतया समर्पण करने से | परमात्मा हैं, शान्त सुधारस के सागर! उस सागर के किनारे-किनारे चलते रहो.... शीतलता मिलेगी, प्रसन्नता मिलेगी। जिनाज्ञा का पालन करने का उल्लास बढ़ता जायेगा। ___ गुणों की अनुभूति किये बिना, अनुभव ज्ञान प्राप्त किये बिना आत्मा की मुक्ति होने वाली नहीं है। आत्मानुभूति और परमात्मानुभूति के अनजान मार्ग पर चलने का साहस अब बटोरना ही होगा। चेतन, अनुभूति की शीतल-गुहा में प्रवेश करने का सामर्थ्य तुझे प्राप्त होऐसी मंगल कामना करता हूँ। - प्रियदर्शन For Private And Personal Use Only
SR No.009635
Book TitleMagar Sacha Kaun Batave
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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