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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९४ पत्र २२ चार दलों के ऊपर क्रमशः व, श, ष, स अक्षरों का न्यास [ स्थापना ] करने का हैं। इस कमल का ध्यान करने से आकाशगामिनी शक्ति प्राप्त होती है । जिह्वा पर सरस्वती का वास होता है। जपसिद्धि और इच्छित प्राप्ति होती है। शरीर की कान्ति बढ़ती है और स्वास्थ्यलाभ होता है । २. स्वाधिष्ठान-कमल : लिंग के मूल में यह कमल है। यह षड्दल कमल है। क्रमशः दलों के ऊपर ब, भ, म, य, र, ल, - अक्षरों का न्यास करने का होता है। इस कमल का ध्यान करने से मनुष्य शास्त्रज्ञ, नीरोगी, निर्भय और मृत्युंजयी बनता है। अणिमादि सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। ३. मणिपूरक-कमल : मणिपूरक कमल की धारणा नाभिप्रदेश में करने की है । यह कमल सुनहले रंग का है । दशदल कमल है। दलों पर क्रमशः ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ - अक्षरों का न्यास करने का है। इस कमल के ध्यान से परकाय प्रवेश की सिद्धि प्राप्त होती है । स्वर्णसिद्धि प्राप्त होती है। जड़ीबूटियों का ज्ञान होता है। ४. अनाहत-कमल : इस कमल की धारणा हृदय में होती है। लालरंग का कमल है। द्वादशदल कमल है। दलों के ऊपर क्रमशः क, ख, ग, घ, ङ्, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ - अक्षरों का न्यास करने का है। इस कमल के ध्यान से दूरदर्शन, दूरश्रवण की शक्ति मिलती है। ५. विशुद्ध-कमल : इस कमल की धारणा कंठ में करने की है । यह कमल स्वर्णवर्ण का है। यह षोडशदल कमल है। इन दलों के ऊपर क्रमशः अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लृ, ल्द, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः इन अक्षरों का न्यास करने का है। इस कमल के ध्यान से मनुष्य परमज्ञानी और योगीश्वर बनता है। आत्मस्वरूप की रमणता प्राप्त होती है। For Private And Personal Use Only
SR No.009635
Book TitleMagar Sacha Kaun Batave
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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