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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir पत्र १८ १५१ तो मुझे [पुरुष को] पटक दिया। वह तो सभी पुरुषों को धक्का [ठेले] देकर गिरा सकता है! । दूसरी-दूसरी बातों में पुरुष [नर] शक्तिमान [समरथ] होगा.... परंतु इस मन को [एहने] कोई जीत [झेलें] नहीं सकता है? बलवान पुरुष युद्ध के मैदान में शत्रुओं को मार सकता है, परंतु अपने मन पर विजय नहीं पा सकता है। बुद्धिमान पुरुष अपनी तर्कशक्ति से दूसरों की जबान बंद कर सकता है, परंतु अपने मन की जबान को बंद नहीं कर सकता है। कलाकार अपनी कला दिखाकर दुनिया को मंत्रमुग्ध कर सकता है, परंतु अपने मन का वशीकरण नहीं कर सकता है। नपुंसक-लिंग होने पर भी मन ऐसी शक्ति रखता है कि सभी पुरुषों को पल भर में धराशायी कर सकता है। इसलिए, यदि कोई महत्वपूर्ण कार्य करना है, कोई विशिष्ट सिद्धि प्राप्त करनी हो, तो मनोजय की सिद्धि प्राप्त करनी है। 'मन साध्युं तेणे सघलु साध्यं एह वात नहीं खोटी एम कहे 'साध्यु' ते नवी मानु, एक ही वात छे मोटी.... दुनिया के लोग कहते हैं-जिसने मन को साध लिया-वश कर लिया, उसने सब कुछ [सघलुं] सिद्ध कर लिया, सब कुछ पा लिया,' यह बात गलत नहीं है। यह बात शत-प्रतिशत सही है। यदि कोई मनुष्य या देव कह दे कि 'मैंने मन वश कर लिया है, तो मैं मानने को तैयार नहीं हूँ| चूँकि संसार में यह ही एक बात-मन को वश करने की, बड़ी बात है। यानी दुष्कर-अति दुष्कर बात है। आजकल कुछ मायावी लोग दुनिया के लोगों को कहते फिरते हैं-महीनादो महीना हमारा 'ध्यान' करो, तुम्हारा मन स्थिर हो जायेगा! दो-चार महीना हमारी योग साधना करो, तुम्हारा मन स्थिर हो जायेगा। एक-दो साल हमारे अध्यात्म प्रवचन सुनते रहो, तुम्हार मन स्थिर हो जायेगा....!' ध्यान-योग और अध्यात्म का व्यापार करनेवालों पर मुग्ध-भोले लोग विश्वास कर लेते हैं.... और जाल में फँस जाते हैं। आनन्दघनजी कहते हैं कि मन को वश करने के दावेदारों को मैं नहीं मानता! For Private And Personal Use Only
SR No.009635
Book TitleMagar Sacha Kaun Batave
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages244
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size2 MB
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