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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिंदगी इम्तिहान लेती है २१ को निर्बंधन रख, सकल विश्व के सर्व जीवों के प्रति उस प्रेम को बहने दे । उस प्रेम की गंगा में जो भी डुबकी लगाना चाहे, लगाने दे, शीतल और निर्मल होने दे। जीवों का ताप और मल तू दूर करता रहे । तू भी गंगा की तरह वन्दनीयपूजनीय बन जाएगा। तू ने शायद अपने विषय में सोचा ही नहीं होगा। तेरे आन्तरिक व्यक्तित्व को परखने की चेष्टा ही नहीं की होगी। ऐसा भी होता है कई बार मनुष्य के जीवन में | मैंने तेरे व्यक्तित्व के विषय में सोचा है, तुम्हारे बाह्य-आन्तरिक व्यक्तित्व को परखा भी हैं। मुझे ऐसा लगता है कि यदि तू सर्व जीवों के लिए जीवन जिओ तो हजारों-लाखों मनुष्यों को शीतलता मिल सकती है। तुझे तो ऐसा अपूर्व आनंद प्राप्त होगा कि... क्या बताऊँ ? तू ही भविष्य में अनुभव कर पाएगा! मनुष्य के पास उच्चतम व्यक्तित्व होने पर भी, उस व्यक्तित्व के विकास के लिए उपयुक्त वातावरण मिलना चाहिए, उपयुक्त क्षेत्र मिलना चाहिए, उपयुक्त मार्गदर्शन मिलना चाहिए। तुझे वातावरण, क्षेत्र और मार्गदर्शक मिले हैं न? अब चाहिए तेरी स्वयं की तमन्ना | तमन्ना एक बहुत बड़ा तत्त्व है। प्रबल संकल्प-शक्ति से कौन-सा कार्य सिद्ध नहीं होता है? प्रिय आत्मन्! मूढ़ता त्याग दे, हृदय को निर्मोही बना और स्नेह की सरिता बहा दे सर्व जीवों के लिए। इस दिव्य दृष्टि से जीवन का अभिनव सर्जन कर। ___ ज़्यादा क्या लिखू? जो कुछ भी तुझे लिखता हूँ - ऐसा मत मानना की कोरा उपदेश ही दे रहा हूँ। मेरे जीवन के अनुभवों पर आधारित और तत्त्वज्ञान से परिशुद्ध विचारधारा तेरे सामने प्रवाहित कर रहा हूँ | अभी-अभी, भिन्न-भिन्न मानव जीवन के स्तरों पर काफी मंथन चल रहा है। सोचने के लिए नहीं सोचता हूँ... सोचा जाता है... नया-नया प्रकाश मिलता है... उस उजाले में स्व-पर जीवन का मार्ग आलोकित करना चाहता हूँ। तेरी कुशलता चाहता हूँ। तेरे माता-पिता वगैरह परिवार को 'धर्मलाभ' सूचित करना। मेरे सहवर्ती सभी मुनिवर स्वस्थ हैं, प्रसन्न हैं। पत्रोत्तर की प्रतीक्षा में - १५-२-७६ शाहपुर [महाराष्ट्र] - प्रियदर्शन For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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