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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १९ जिंदगी इम्तिहान लेती है डॉ. ब्रेकेट के जीवन का एक अद्भुत प्रसंग मैंने पढ़ा था। डॉ. ब्रेकेट को एक बार एक ज्ञानी संत पुरुष का समागम हुआ। उसने डॉक्टर को यही बात कही थी, जो मैं आज तुझे कह रहा हूँ! यह जीवन आत्मशक्ति-चैतन्यशक्ति को प्राप्त करने के लिए है... समग्र चैतन्य सृष्टि के सुख-दुःखों की समवेदना अनुभव करने के लिए है।' ___ डॉक्टर की उम्र जब ३० वर्ष की थी, कुमारी क्रोमवेल का परिचय हुआ और प्रेम भी हो गया। दोनों ने शादी कर लेने का निर्णय कर लिया। एक रात को ब्रेकेट और क्रोमवेल, अपने भावी-जीवन के स्वप्नलोक में विचर रहे थे, रात के १० बजने जा रहे थे, इतने में घंटी बजी। डॉक्टर ने मकान का द्वार खोला। डॉक्टर ने एक हबशी औरत को देखा । औरत की आँखों में आँसू और अनुनय था, वह बोली : 'डॉक्टर साब, मेरा इकलौता बेटा बहुत बीमार है... आखिरी श्वास ले रहा है... असहाय हूँ... मेरा कोई नहीं... यदि आप तुरंत ही पधार जाये तो बच्चा शायद बच सकता है...।' उस अनजान औरत की तड़पन... रुदन.. आँसू, डॉक्टर नहीं देख सके। उनका हृदय द्रवित हो गया। डॉक्टर ने अपनी भावी पत्नी रूपसुन्दरी क्रोमवेल को कहा : 'प्रिये, तू यहाँ दो घंटा बैठना, मैं जा कर आता हूँ।' क्रोमवेल को बात पसन्द नहीं आयी। रीस और रोष से उसने कह दिया : 'तेरे बिना मैं अकेली यहाँ बैठकर क्या करूँ? मेरे प्रेम से भी तेरे लिए दर्दी क्या ज़्यादा मूल्यवान है? You have a date with me.....!' डॉक्टर ब्रेकेट ने शांति से क्रोमवेल को कहा : 'जैसे प्रेम दिव्य है, वैसे प्रेम का अनुभव करने वाला चैतन्य भी दिव्य है! जिस प्रकार मैं तेरे प्रेम का स्वागत करता हूँ, उसी प्रकार इस माता के पुत्र प्रेम को कैसे ठुकरा सकता हूँ?' डॉक्टर ने अपनी बैग उठाई और हबशी औरत के साथ कार में बैठकर रवाना हो गए। क्रोमवेल भी गुस्से में तमतमा कर वहाँ से चली गई। सद्भाग्य से उस औरत का लड़का बच गया। रात को चार बजे डॉक्टर वापस अपने घर पहुँचे। दूसरे दिन क्रोमवेल का फोन आया, उसने कहा : 'डॉक्टर, तेरा और मेरा सम्बन्ध नहीं जमेगा, तुझे मेरी कोई कद्र नहीं है, मेरे प्रेम का तू मूल्यांकन नहीं कर सकता...' डॉक्टर ने कहा : 'क्रोमवेल! मैं मानवमात्र से प्रेम करता हूँ| चूँकि मैं मानवता का मूल्यांकन करता हूँ, For Private And Personal Use Only
SR No.009633
Book TitleJindgi Imtihan Leti Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2009
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size3 MB
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