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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रवचन- ५४ १. भयमुक्ति-निर्भयता, www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५९ २. शील-सदाचारों का पालन । ऐसे शहर में, ऐसी गली में, ऐसे मकान में रहना चाहिए कि जहाँ परिवार के सदस्यों की सुरक्षा हो । धन-संपत्ति की सुरक्षा हो । जिस समय घर में अकेली महिला हो, लड़का हो या लड़की हो, उस समय भी वे निर्भयता से रह सकें । चोरी का भय न हो, डाकु का भय न हो, बदमाशी का भय न हो । आपकी अनुपस्थिति में घरवाले निर्भयता से रह सकें, निश्चिंतता से रह सकेंवैसा स्थान पसन्द करना चाहिए । मकान बहुत खुली जगह में नहीं होना चाहिए - चारों ओर से खुला नहीं होना चाहिए। ऐसे मकान में प्रवेश करना चोरों के लिए सरल बन जाता है। आसपास निकट में कोई रहनेवाला नहीं होने से आपकी चिल्लाहट भी कोई सुन सकता नहीं है। ऐसी 'सोसायटीझ' गाँव - नगर से बाहर बनी हैं और बनती जा रही हैं......कि जहाँ एक कम्पाउन्ड में एक ही बंगला! दूसरे कम्पाउन्ड में दूसरा बंगला! यदि एक बंगले में दो-चार डाकु घुस जायँ और दरवाजा बंद करके हत्या या बलात्कार कर दें तो दूसरे बंगलेवालों को पता ही न लगे! दूसरे बंगलेवालों को आवाज तक सुनायी नहीं दे ! बंगलों के और फ्लेटों के दरवाजे भी अब 'एयर-प्रूफ' बनाये जाते हैं। हवा भी भीतर नहीं जा सके। तो आवाज भीतर से बाहर कैसे आ सकती है? हाँ, फ्लेट तो आसपास होते हैं, फिर भी एक फ्लेट का मुख्य द्वार बंद होने पर, उस फ्लेट में कोई कितना भी चिल्लाये, तो भी उसकी आवाज पासवाले फ्लेट में नहीं सुनाई देगी। एयर टाइट दरवाजे बनाये जाते हैं न? एकान्त स्थान में निवास भयजनक : सभा में से : आजकल तो सुखी-श्रीमंत गृहस्थों का यह फैशन हो गया है कि बंगले में रहना, फ्लेटों में रहना । गाँवों में छोटे शहरों में रहना तो श्रीमंत लोग पसंद ही नहीं करते। For Private And Personal Use Only महाराजश्री : इसलिए तो अनेक दुर्घटनाएँ वहाँ घटती रहती हैं। ऐसे बंगलों में और फ्लेटों में हत्याएँ होती रहती हैं, बलात्कार होते रहते हैं, अनेक पापाचरण होते रहते हैं । चोर-डाकुओं का काम वहाँ सरलता से हो जाता है। एकान्त अच्छा मिल जाता है।
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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