SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन- ५३ ४७ घंटों तक बैठे रहते हो, तो दुनिया की दृष्टि में यानी सज्जनों की दृष्टि में आप गिर जाओगे। आप शराब नहीं पीते हैं, परंतु शराबी की दोस्ती करते हैं, तो आपके चरित्र पर काला धब्बा तो अवश्य लगता है। संभव है कि शराबी की दोस्ती आपको एक दिन शराबी भी बना दे । आप अपनी प्रसिद्धि दुनिया में किस प्रकार की चाहते हो ? आपकी दुनिया यानी आपका परिवार, आपका समाज, आपका गाँव, आपका शहर.... | उसमें आप अपनी ख्याति किस प्रकार की चाहते हैं ? सभा में से : हम लोग तो 'श्रीमन्त' के रूप में प्रसिद्धि चाहते हैं ! महाराजश्री : क्योंकि आप मानते हो कि श्रीमन्त- धनवान् की ही संसार में कदर होती है, धनवान् व्यक्ति कितने भी बुरे काम करता हो तो भी दुनिया कुछ नहीं बोलती है। परन्तु सर्वथा ऐसा नहीं है । धनवानों की बुराइयाँ भी प्रकाशित होती हैं, उनकी भी बेइज्जती होती है, यदि उनका वैसा बुरा आचरण होता है तो । आज तो जमाना ही बदल गया है । धनवान् क्या, देश का बड़े से बड़ा मंत्री भी क्यों न हो? यदि वे भी कोई गलत काम करते हैं तो अखबारों में तुरन्त उनकी तीव्र आलोचना होती है । दुनिया गुणवानों का आदर करती है : एक बात याद रखना, दुनिया धनवानों से प्यार नहीं करती है, गुणवानों से प्यार करती है। दुनिया का प्यार एक बहुत बड़ी संपत्ति है, जिसका मूल्यांकन नहीं किया जा सकता, वैसी अमूल्य संपत्ति है, यदि आप समझें तो ! 'मुझे गुणवान् के रूप में प्रसिद्ध होना है ।' ऐसा आपका संकल्प - दृढ़ संकल्प होना चाहिए। हाँ, यदि पुण्योदय से श्रीमन्त बन जाओ तो चिन्ता नहीं करना । श्रीमन्त हो और गुणवान् हो तो दुनिया उसके प्रति विशेष प्रेम करती है। श्रीमन्त हो परन्तु विनम्र हो, श्रीमन्त हो और उदार हो, श्रीमन्त हो परन्तु निरभिमानी हो...तो दुनिया के हृदय में वह बस जाता है । श्रीमन्त हो और परमात्मा का भक्त हो, सद्गुरुओं का सेवक हो, गरीबों का मित्र हो, अनाथों का नाथ हो... तो दुनिया में उसकी श्रेष्ठ प्रतिष्ठा प्रस्थापित होती है। दुनिया की निगाहों में 'गुणवान्' के रूप में प्रतिष्ठित होने का आत्मसाक्षी से निर्णय करोगे तब ही गुणवान् पुरूषों का संग करने का सोचोगे। तब ही गुणवान् पुरुष की खोज करोगे । हाँ, गुणवान् पुरुषों की खोज करनी पड़ती है । परख करनी पड़ती है। For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy