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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-६९ २२६ सभा में से : अभिषेक जो किया जाता है वह दूधमिश्रित जल से किया जाता है, ऐसा क्यों? महाराजश्री : देवलोक के देव परमात्मा का अभिषेक करने के लिए क्षीरसागर का पानी लाते हैं। क्षीरसागर का पानी दूध जैसा होता है, इसलिए आपको भी वैसा पानी चाहिए न! आप क्षीरसागर के पास तो जा नहीं सकते। इसलिए पानी में दूध मिलाकर क्षीरसागर के पानी जैसा पानी बना लेते हैं | अभिषेक करने के बाद, स्वच्छ और मुलायम वस्त्र से प्रतिमाजी को पोंछना चाहिए। इस कार्य में दो विकृति प्रविष्ट हो गई हैं। एक है खसकूची और दूसरी है तांबे की या पीत्तल की सूई। ___ परमात्मा की मूर्ति की सफाई इस प्रकार नहीं करना चाहिए। इससे मूर्ति को तो नुकसान होता ही है, साथ साथ हृदय के भावों को भी नुकसान होता है। कपड़े से ही सफाई करनी चाहिए। दूसरी पूजा है चन्दनपूजा : परमात्मा के नौ अंगों पर केसर मिश्रित चन्दन से पूजा करनी चाहिए। केवल चन्दन से भी पूजा हो सकती है। एक-एक अंग की पूजा करते समय उन अंगों का महत्त्व ख्याल में होना चाहिए। नव अंग परमात्मशक्ति प्राप्त करने के नव केन्द्रबिन्दु हैं | दाहिने हाथ की अनामिका अंगुली से पूजा करने का विधान है। अनामिका में परमात्मशक्ति ग्रहण करने की क्षमता होती है। तीसरी पूजा है पुष्पपूजा : चन्दनपूजा के बाद ताजे सुगन्धी पुष्पों से पूजा करनी चाहिए। बासी पुष्प भगवान को नहीं चढ़ाने चाहिए | पुष्पों को सूई से बींधने भी नहीं चाहिए | पुष्पों की पंखुड़ियाँ तोड़नी नहीं चाहिए। पुष्पपूजा से भावोल्लास की वृद्धि होती है। भाववृद्धि....शुभ भावों की वृद्धि ही तो पूजा का उद्देश्य है। मूर्ति पर जैसे-तैसे पुष्प नहीं चढ़ाने चाहिए। भगवान का सौन्दर्य बढ़े इस प्रकार पुष्प चढ़ाने चाहिए । पूजक के पास वैसी दृष्टि होनी चाहिए। यदि सौन्दर्यबोध नहीं हो तो भगवान के उत्संग में पुष्प रख देने चाहिए। चौथी पूजा है धूप की : स्वयं जलकर दूसरों को सुगन्ध देनेवाला धूप उच्चतम प्रेरणा देता है। मुझे स्वयं कष्ट सहन करके दूसरों के दुःख दूर करने हैं, दूसरों को सुख देना है', यह प्रेरणा धूपपूजा में से लेने की है | परमात्मा में अनंत गुणों की सुवास है। 'हे For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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