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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-५८ ११३ दुर्भाव न हो वैसा व्यवहार रखो : गृहस्थ का बारहवाँ सामान्य धर्म है प्रसिद्ध देशाचारों का पालन करना, परन्तु आज देश में जब कोई आचार ही नहीं बचा है, अनाचार ही व्यापक बने हैं, तब मैं आपको कौन-से देशाचार का पालन करने का उपदेश दूँ? प्रसिद्ध देशाचार का पालन करने का हेतु था प्रजा के साथ संवादिताअविरोध के साथ जीवन जीने का | यदि देशाचारों का पालन नहीं करें मनुष्य, तो प्रजा के साथ उसका विरोध हो जाय। इससे उसके धर्मपुरुषार्थ में बाधा उत्पन्न हो जाय । इसलिए देशाचारों का पालन करना धर्म कहा गया है। ___ हेतु को लक्ष्य में रखना। जिस गाँव में रहते हों, उस गाँव की प्रजा के साथ वैर-विरोध हो वैसी प्रवृत्तियाँ नहीं करना। प्रजा को आपके प्रति दुर्भावना हो, तिरस्कार हो, वैसे काम नहीं करना । देशवासी-नगरवासी लोगों के साथ उचित संबंध स्थापित करने से और निभाने से आप निर्भयतापूर्वक अपने धर्मपुरुषार्थ और अर्थ-कामपुरुषार्थ में सफलता प्राप्त कर सकते हैं। विवेक और औचित्य से अपने जीवन को व्यतीत करें यही मंगल कामना। आज बस, इतना ही। For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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