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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-५८ १०३ म. अपने देश की मोक्षप्रधान संस्कृति करीब-करीब हतप्राण हो गई है। अपनी संस्कृति पर पहले मुस्लिमों के आक्रमण होते रहें....इसके बाद अंग्रेजों के शासन में ईसाइयों के द्वारा सांस्कृतिक आक्रमण होते रहे....जो आज भी चालू हैं। • सदाचार में तीन बातें प्रमुख है : १. सात्त्विक खाना-पीना, से २. मर्यादापूर्ण वेश-भूषा और ३. परस्पर के पवित्र संबंध। . मांसाहर करने से अनेक प्रकार के रोग होते हैं, मांसाहार से 'केन्सर' भी हो सकता है और मौत का शिकार भी होना पड़ सकता है। किसी भी बहाने शराब को अपने जीवन में प्रविष्ट मत होने दो। शराबी के साथ दोस्ती रखो ही मत। शराबी से किसी भी __तरह का संबंध नहीं रखना चाहिए। . आज तो अपने पूरे देश में व्यापक रूप से एक भी सदाचार नहीं बचा है, देश में व्यापक बने हुए, फैल रहे हुए पापाचारों को जानो, समझो और पापाचारों से बचकर जीवन जियो! प्रवचन : ५८ महान् श्रुतधर, परम कृपानिधि, आचार्य श्री हरिभद्रसूरीश्वरजी ने, स्वरचित 'धर्मबिंदु' ग्रन्थ में गृहस्थजीवन का सामान्य धर्म सर्वप्रथम बताया है। गृहस्थजीवन का बारहवाँ सामान्य धर्म है : प्रसिद्ध देशाचारों का पालन। देशाचारों के पालन का विचार करते समय हमें देश और आचारों का विचार करना होगा। देश की प्राचीन परिस्थिति और अर्वाचीन परिस्थिति-दोनों परिस्थितियों का विचार करना पड़ेगा। पहले अपन प्राचीनकाल का अवलोकन करेंगे। इस अवसर्पिणी काल में सर्वप्रथम भगवान ऋषभदेव के समय में राज्यव्यवस्था अस्तित्व में आई है। ऋषभदेव सर्वप्रथम राजा थे। उन्होंने प्रजा का हित सोचकर ही सारी राज्य-व्यवस्था और आचार-मर्यादाओं की स्थापना की थी। केन्द्र में था प्रजा का हित, प्रजा का कल्याण, प्रजा की सुखाकारिता! लक्ष्य था मोक्ष! असंख्य वर्षो तक इस भारतवर्ष की प्रजा को ऐसी मोक्षप्रधान संस्कृति मिलती रही और प्रजावत्सल राजा मिलते रहे। For Private And Personal Use Only
SR No.009631
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages274
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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