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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६८ प्रवचन-४७ वेश्यागृह चलाने में कुछ प्रपंची लोगों को सफलता मिल रही है! सन्यासी का वेश पहनकर व्यभिचार सेवन करने में उनको सफलता मिल रही है! वासना-विजय के उपाय : विषयोपभोग से कभी भी इच्छाएँ शान्त नहीं होती हैं। विषयोपभोग से इच्छाएँ प्रबल बनती जाती हैं। प्रबल इच्छाएं मन को और तन को रोगी बना देती हैं। प्रबल कामेच्छा, स्वस्थता, स्थिरता, प्रसन्नता और पवित्रता को नष्ट कर देती है। इसलिए ज्ञानी पुरुष कहते हैं कि इच्छाओं को प्रबल मत होने दो। इच्छाएं प्रबल बनने के अनेक निमित्त होते हैं, अनेक आलंबन होते हैं। कुछ निमित्त बताता हूँ। (१) अविवाहिता, परस्त्री और विधवा महिलाओं का संपर्क मत रखो। इनके साथ बैठने से, ज्यादा बातें करने से शरीरस्पर्श करने से कामेच्छा प्रबल हो सकती है। (२) कामक्रीड़ा के विभिन्न दृश्य देखने से कामेच्छा तीव्र बन सकती है। आजकल वैसे सिनेमा चलते हैं, जहाँ स्त्री-पुरुष की कामक्रीड़ाएं देखने को मिलती हैं। सिनेमा नहीं देखने वाले कितने लोग? आप लोग कि जो मंदिर में जाते हैं, धर्मस्थानों में आते हैं, वे भी ज्यादातर लोग सिनेमा देखते रहते हैं। सेक्सी-विलासी सिनेमा ही ज्यादा बन रहे हैं। 'प्रेम' के नाम, परस्त्री से या अविवाहिता से अथवा विधवा स्त्री से संबंध स्थापित किए जाते हैं और भोगसंभोग के प्रसंग बताए जाते हैं। देखनेवालों के दिमाग पर इनका बड़ा बुरा असर पड़ता है। (३) लड़के और लड़कियों की सहशिक्षा भी कामवृत्ति को प्रबल बनाती है। प्राथमिक शाला में, माध्यमिक शाला में और कालेज में....सर्वत्र सहशिक्षा दी जा रही है। तरुण अवस्था में और युवावस्था में ही कामवासना के शिकार बन जाते हैं लड़के और लड़कियाँ । अनेक लड़कों के जीवन, लड़कियों के जीवन नष्ट हो रहे हैं। पढ़ाई का रस अब नहीं रहा है अब रस रहा 'सेक्सी' प्रवृत्तियों का। जिनके पास धन और यौवन है, वे युवक और युवतियाँ भोग-संभोग करते हुए अनेक मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों के शिकार बन रहे हैं। (४) सरकार ने भी इन लोगों को सुविधाएँ दे रखी हैं। संतति-नियमन के साधन बाजारों में बिकने लगे हैं। वैसी होटलें बनी हैं और बन रही हैं कि जहाँ स्त्री-पुरुषों को चाहिए वैसा एकान्त मिल जाता है। और वैसा कामोत्तेजक भोजन मिल जाता है ऐसी होटलें भी हैं कि जहाँ पुरुष को चाहिए वैसी स्त्री मिल जाती है! यानी होटल के साथ साथ वेश्यागृह भी चलते हैं! For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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