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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १८६ प्रवचन-४० की शक्ति कम नहीं होती। शक्ति का आधार मात्र आहार नहीं होता है, आहार से बनने वाला खून और वीर्य होता है। मांसाहार नहीं करने वाले अनेक महाबली पराक्रमी स्त्री-पुरुष विश्व के इतिहास में प्रसिद्ध हैं। मांसाहार एवं ताकत का उलटा गणित : 'मांसाहार नहीं करने वाले स्त्री-पुरुष निर्बल होते हैं और मांसाहारी लोग बलवान् होते हैं, ऐसा कोई नियम नहीं है। मांसाहारी लोग भी अनेक रोगों से अक्रान्त हो सकते हैं, वे भी निर्बल हो सकते हैं और मरते भी हैं। शारीरिकशक्ति के प्रलोभन से भी मांसाहार करने जैसा नहीं है। शारीरिक शक्ति पाने के लिए निरामिष आहार में अनेक द्रव्य मिल सकते हैं। शक्तिदायक अनेक द्रव्य उपलब्ध हो सकते हैं। इसलिए कहता हूँ कि शक्तिशाली बनने के प्रलोभन से भी मांसाहार न करें। ___ मांसाहार से जिस प्रकार इहलौकिक नुकसान है वैसे पारलौकिक नुकसान भी है। हिंसा के अनेक उपाय शास्त्रों में बताये हैं। अहिंसा से यानी अहिंसा के पालन से आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति होती है वैसे हिंसा से रोग और दुर्भाग्य की प्राप्ति होती है। रोग और दुर्भाग्य हिंसा का फल है। जीवात्मा हिंसा करता है यानी रोग और दुर्भाग्य को निमंत्रण देता है। पारलौकिक दृष्टि से यह बात बताता हूँ। यहाँ इस जीवन में रसनेन्द्रिय की परवशता से जो जीव मांसाहार करके मजा लूटता है, परलोक में अनेक रोगों का शिकार बनता है, उसका जीवन दुर्भाग्य से भर जाता है। जीवहिंसा से 'अशाता-वेदनीय' कर्म बंधता है। जब यह कर्म उदय में आता है तब शरीर रोगों से भर जाता है। जीवदया से 'शातावेदनीय' कर्म बंधता है। इस कर्म का उदय होने पर निरोगिता प्राप्त होती है। सभा में से : ऐसी दवाइयाँ भी होती हैं कि जो जीवहिंसा से बनी हुई होती हैं....जैसे कोडलीवर ऑईल, सेवन पिल्स वगैरह.... महाराजश्री : ऐसी दवाइयाँ भी नहीं लेनी चाहिए। दवाई लेनी हो तो डॉक्टर को पूछ लेना चाहिए कि इस दवाई में कोई हिंसाजन्य तत्त्व नहीं है न? अहिंसक दवाइयाँ भी मिलती हैं। दवाई लेने वाले को सावधानी रखनी चाहिए | आज तो हर बात में सावधानी रखना अनिवार्य हो गया है । पशुओं के चमड़े में से, चरबी में से, हड्डियों में से अनेक वस्तुएँ बनने लगी हैं। कई मिठाइयाँ 'मटन-टेलो' में बनती हैं। बाजार से मिठाई खरीदने वालों को इस For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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