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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-३७ ___१४९ देखती रहती है, तो उसकी सन्तान अंधी अथवा कमजोर आँखोंवाली पैदा होती है। जो स्त्री बहुत मीठा, तीखा, खट्टा खाती है, बहुत गर्म अथवा बहुत शीतल भोजन करती है उसका बच्चा रोगी, अशक्त और शारीरिक क्षतिवाला पैदा होगा। जो स्त्री दौड़ती है, ज्यादा हँसती है, बहुत बोलती है, उसका बच्चा भी शारीरिक क्षतिवाला पैदा होगा। उसके दांत काले होंगे, उसके होंठ भी काले होंगे... वगैरह | जो स्त्री शरीर पर तेल की मालिश करती रहती है, पावडर वगैरह लगाती है, उसके बच्चे को चर्मरोग होता है | अत्यंत फिट-टाइट वस्त्र से गर्भस्थ जीव के शरीर का विकास रुक जाता है। मैथुन-सेवन तो अत्यंत हानिकर्ता बनता है। यदि स्त्री करुणामयी होगी तो गर्भस्थ जीव को जरा भी कष्ट नहीं होने देगी। गर्भपात का पाप बढ़ रहा है : सभा में से : आजकल तो 'एबोरशन' सामान्य बात हो गई है। समाज में अच्छे कहलाने वाले लोग भी यह घोर पाप करने लगे हैं। ___ महाराजश्री : भ्रूण-हत्या का पाप कैसा भयानक पाप है, मुझे समझाना पड़ेगा क्या? स्त्री-पुरुष में कितनी तीव्र क्रूरता हो तब यह पाप होता है? गर्भस्थ जीव के प्रति इतनी निर्दयतावाले स्त्री-पुरुष धर्मक्षेत्र में प्रवेश करने के लिए योग्य नहीं है, धर्मस्थानों में आने योग्य नहीं हैं। दूसरी बात : जो स्त्री इतनी निर्दय हो सकती है वह सुशील नहीं रह सकती, उसकी कुलीनता नहीं रहती, उसमें धर्माचरण की योग्यता नहीं रहती। ऐसी महिलाओं को प्रायः सन्तान नहीं होती, यदि हो, तो भी वे सन्तान सुशील एवं संस्कारी नहीं हो सकती। सरकार भी पापों को उत्तेजना दे रही है : भारत के इतिहास में आपने कहीं पर भी पढ़ा है कि सरकार ने प्रजा को 'एबोरशन' भ्रूणहत्या करने की इजाजत दी हो? भारत में मुसलमान राजाओं का भी राज्य था, परन्तु उन राजाओं ने भी कभी गर्भपात की इजाजत नहीं दी थी। अंग्रेजों के राज्य में भी गर्भपात करना-कराना अपराध माना जाता था, परन्तु स्वतंत्र भारत के नेताओं ने इस पाप को बढ़ावा दिया है। संतति-नियमन के साधनों का देशव्यापी प्रचार कर दुराचार-व्यभिचार को उत्तेजना दी है। मद्यपान का भी सरकार निषेध नहीं करती है। मांसाहार को बढ़ावा देती है.... ऐसी परिस्थिति में मनुष्य को पापों से मुक्त करना कितना मुश्किल बन गया For Private And Personal Use Only
SR No.009630
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages291
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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