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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-५ ६१ दावे करनेवाले होते हैं, वे कहते हैं : 'हम धर्म की ये सारी बातें जानते हैं, हम तो यहाँ आते हैं सामयिक करने, माला फेरने!' देखो, यहाँ प्रवचन चल रहा है और ये जानकार लोग माला फेर रहे हैं! देखो, है न ‘सेम्पल' सामने! क्योंकि इन लोगों ने मान लिया है कि हम धर्म की सारी बातें जानते हैं, अब हमें कुछ भी जानना शेष नहीं रहा! चौदहपूर्वधर हो गये हैं ये लोग! पूछ लो इनको कि 'आप व्याख्यान के समय माला क्यों फेरते हो? आप प्रवचन क्यों नहीं सुनते? बैठते हैं व्याख्यानसभा में और फेरते हैं माला!' ऐसे मूर्तों को धर्म का उपदेश नहीं दिया जाता। सभा में से : क्या व्याख्यान के समय माला नहीं फेरनी चाहिए? महाराजश्री : एक साथ दो काम हो सकते हैं क्या? माला फेरनी यानी क्या? परमेष्ठिपदों का ध्यान किए बिना माला-जाप होता है क्या? मन या तो मन्त्रजाप में रहेगा या तो प्रवचन सुनने में। यदि धर्मश्रवण करने आए हो तो एकाग्रता से श्रवण ही करना चाहिए। यदि मन्त्रजाप करना है, तो मंदिर में जाकर करो, घर में कर लो। व्याख्यान सभा में माला-जाप करना सर्वथा अनुचित है। परंतु ये भक्त लोग मानेंगे यह बात? जानकार हैं न! महान ज्ञानी हैं न! सभा में से : अब नहीं करेंगे माला-जाप, आज दिन तक नहीं जानते थे...| महाराजश्री : अच्छा है मान जायेंगे तो । उनको अपनी गलती समझ में आ जाएगी, अपनी भूल समझ में आ जाएगी तो सुधार करेंगे। मेरे भय से माला छोड़ देंगे तो मेरे जाने के बाद वही की वही स्थिति रहेगी। समझ कर सुधार करेंगे तो पुनः गलती नहीं करेंगे। धर्म के उपदेश के लिए अयोग्य व्यक्ति कौन-कौन? ___ जैसे विक्षिप्त चित्तवाले मनुष्य को धर्म का उपदेश नहीं देना चाहिए, वैसे उन्मत्त चित्तवालों को भी धर्मोपदेश नहीं देना चाहिए | उन्माद भिन्न-भिन्न प्रकार के होते हैं। कोई भी उन्माद हो, उन्मत्त मनुष्य धर्मतत्त्व को नहीं समझ पाएगा। धर्म का प्रभाव या धर्म का स्वरूप उसके पल्ले नहीं पड़ सकता । मात्र शराब का ही उन्माद नहीं है, दूसरे अनेक उन्माद होते हैं। धन-संपत्ति का उन्माद, बल का उन्माद, जाति का उन्माद, रूप का उन्माद, बुद्धि का उन्माद, ज्ञान का उन्माद! ऐसे अनेक उन्माद हैं। हाँ, ऐसे उन्मादी लोग धर्मस्थानों में भी आते हैं! धर्म सुनने या धर्म करने नहीं, अपनी सम्पत्ति का प्रदर्शन करने! For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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