SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रवचन- ४ 'नारदजी!’ ‘भगवंत!’ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'उस शहरवाला वह सेठ वैकुंठ में नहीं आएगा!' ‘आएगा, अवश्य आएगा भगवान ! मैं उसे पूछकर आया हूँ...।' भगवान ने कहा : ‘ठीक है देवर्षि, आप पूछकर आए हो, लेकिन मैं कहता हूँ कि वह सेठ वैकुंठ में नहीं आएगा ! ' ४२ 'मैं नहीं मान सकता आपकी बात भगवंत! माफ करना, आप सीधी बात कह दीजिए कि वैकुंठ में उस सेठ के लिए जगह ही नहीं है! कोई कमरा खाली नहीं है!' नारदजी को गुस्सा आ गया। भगवान को हँसी आ गई। उन्होंने कहा : 'अच्छा, तो आप ले आइए उस सेठ को । वैकुंठ में उसके लिए तेरह नंबर का कमरा खाली रहेगा... बस ! ' # नारदजी खुश हो गए। उन्होंने कहा : 'भगवान, मैं आपका विमान लेकर जाऊँगा वहाँ और ले आऊँगा उस सेठ को !' भगवान ने कहा : 'अच्छा, ले जाना मेरा विमान... ।' नारदजी प्रसन्न होकर अपने स्थान चले गए। भगवान नारदजी को देखते रहे! 'भक्तवत्सल हैं परन्तु भावुक हैं। मनुष्य की बाहरी भक्ति देखकर बह जाते हैं। जाने दो लेने के लिए उस सेठ को ... ।' आपको भी मोक्ष में जाना है न? मोक्ष में जाने की तमन्ना है न? धर्म मोक्ष भी देता है। परन्तु वह धर्म कैसा होना चाहिए - यह कभी सोचा है ? 'धर्म मोक्ष देता है'- इतनी बात तो समझ ही लेना । 'मोक्ष' के विषय में आगे विवेचन करेंगे और नारदजी के विषय में भी आगे बात करेंगे। आज, बस इतना ही । For Private And Personal Use Only
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy