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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra प्रवचन -२ V100 www.kobatirth.org धर्म से धन मिलता है...! धर्म से भोगसुख मिलते हैं! धर्म से स्वर्ग मिलता है और धर्म से मोक्ष भी मिलता है! धर्म का प्रभाव अचिन्त्य है ! परन्तु धर्म के पास तुम गलती से भी सांसारिक सुखभोग मत माँगना ! Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 'जो नफा मिले उसमें से कुछ हिस्सा शुभ कार्य में खर्च करना' एक बुजुर्ग आदमी विलियम कोलगेट को सलाह देता है, कोलगेट उस सलाह को मानता है और वह दुनिया का एक उदार दानवीर धनकुबेर बनता है । * केवल खोर के दान से वह ग्वाले का लड़का शालिभद्र नहीं बन गया था...वह सुपात्र दान तो था प्रेम का ! साधु के प्रेम ने उसको शालिभद्र बनाया । धर्म को केवल अर्थ-काम का साधन मत बनाओ, 'आत्मकल्याण' को हो जोवन का ध्येय बनाओ और उसीके लिए धर्मपुरुषार्थ करते रहो। प्रवचन : २ १४ For Private And Personal Use Only www आध्यात्मिक शक्ति का प्रभाव : परम करुणावंत आचार्य भगवंत श्री हरिभद्रसूरिजी ने 'धर्मबिन्दु' ग्रन्थ का प्रारंभ करते हुए परमात्मा को प्रणाम किया । परमात्मप्रणाम भावमंगल है। भावमंगल में इतनी अपार 'स्पिरिच्युअल एनर्जी - आध्यात्मिक शक्ति है कि भावमंगल करने वाले मनुष्य के सभी उपद्रव, सभी दुःख आमूल नष्ट हो जाते हैं। सभी विघ्न दूर हो जाते हैं। कैसे होता है, यह सब ? यह बात मत पूछो ! आध्यात्मिक-शक्ति को हमने पहचाना ही नहीं है । आत्मशक्ति के विषय में शायद आप लोगों ने सोचा भी नहीं होगा । आत्मशक्ति के आगे 'एटमिक एनर्जी' भी कुछ नहीं है । आणविक शक्ति से आत्मशक्ति काफी बढ़कर है। परमात्मप्रणाम की आन्तरिक क्रिया उस आत्मशक्ति का आविर्भाव करती है। उस शक्ति से विघ्ननाश होता है, दुःखनाश होता है, चिन्ताओं का नाश होता है । मनुष्य का जीवनपथ निष्कंटक बनता है।
SR No.009629
Book TitleDhammam Sarnam Pavajjami Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadraguptasuri
PublisherMahavir Jain Aradhana Kendra Koba
Publication Year2010
Total Pages339
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Discourse, & Religion
File Size2 MB
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