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________________ १६ मेह मेरु २०४ [५]पञ्चमं परिशिष्टम्-श्रीविचाररत्नाकरेविशेषनाम्नामकाराद्यनुक्रमः॥ [३८५ माल्यवत् १४९ / वाणमंतर ७०, १४९ मृगापुत्र वानमन्तर मेघकुमार ९८, २०२ वानव्यन्तर वाणिय १०९ मेघजी ३३७ वालुयप्पभा १७९, १९३ वालुकाप्रभा १६१,१६२ [य] विजय १३९,१४६, १४७, १९८, १९९ यक्ष ४३,७५ विदेह १०१ युगादिदेव १९५ विनमि २०२ [र] विमल रथनेमि २०६, २०७ विमलवाहण १९८ विहल्ल रथमुशल १८०,१८१,१८२ वीर १८३, २०० रहमुसल __३, १०७, १९९, २०४, रम्यक् २०५, २५५, ३३६, ३३८ वीरकृष्ण रयणप्पभा १८२ वृत्तवैताढ्य राक्षस १४९ राजीमती वेजयंत २०६, २०७ वेमाणिय रामकृष्ण ४३, ७७, १४९, १५० वैमानिक रामचन्द्र वेसाली रायगिह ९०, ९९, ११६, १८१ वेहल्ल रावण २००, २०४ २०२ राहु वेहायस ८५,८६ २०२ रुक्मि वैताढ्य १४९, २०२, २०३ रुचगवर व्यन्तर ४३, ६९, ७३, ७५, १५०, १६१ रुप्पिणी [श] रैवताचल शक्र १८२ [ल] शत्रुञ्जय ३३७ लक्ष्मण शम्बूक २०० शिखरी ७९,८०,१४८ लवण १४९ शीतल [व] श्रेणिक १७९, १८०, १९९, २०२ वरुण ८०, ८१, ८२, २०० वर्द्धमान श्रेयांस २०४ ५, ३९, २८७ १९८ २०० ० १५ ratan-p\3rd proof 385
SR No.009628
Book TitleVicharratnakar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKirtivijay, Chandanbalashree
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages452
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Spiritual
File Size2 MB
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