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________________ अंगलुंछन करते समय ध्यान रखने योग्य बातें अंगलुंछन दशांग आदि सुगन्धित धूप से सुगन्धित करना चाहिए तथा अपने दोनों हाथों को सुगन्धित करना चाहिए। प्रभुजी का इसी समय साक्षात जन्म हुआ हो, ऐसे भावों के साथ कोमलता पूर्वक अंगलुंछन करना चाहिए। पहला लुंछन थोड़ा मोटा, दूसरा उससे थोड़ा पतला (पक्के मलमल का) तथा तीसरा लुंछण सबसे अधिक पतला (कच्चे मलमल का) रखना चाहिए। अंगलुंछन शुद्ध सूती, मुलायम, स्वच्छ, दाग तथा छिद्र से रहित रखना चाहिए। अंगलुंछन करते समय अपने वस्त्र-शरीर-मुखकोश-नाखून आदि किसी का भी स्पर्श न होने पाए, इस का खास ध्यान रखना चाहिए। अगर हो जाए तो हाथ पानी से शुद्ध करने चाहिए। काफी ध्यानपूर्वक अंगलुंछना करने पर भी यदि अंगलुंछना अपने शरीर-वस्त्र-पबासन अथवा भूमि को स्पर्श कर जाए तो उसका उपयोग प्रभुजी के लिए कभी नहीं करना चाहिए। यदि उसका स्पर्श पाटलुंछना-जमीनलुंछना आदि के साथ हो जाए तो उसका उपयोग नहीं किया जा सकता है। उसी प्रकार 460
SR No.009609
Book TitleSachitra Jina Pooja Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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