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________________ • पुरुषों को दीपक की ज्योति के आकारका तथा महिलाओं को बिन्दी के समान गोलाकार तिलक करना चाहिए। प्रभुजी की दृष्टि न गिरे, वैसी जगह पर पद्मासन में बैठकर अथवा खड़े होकर दोनों भ्रमरों के मध्य स्थान में तिलक करना चाहिए। पुरुषों को दोनों कानोंपर, गलेपर, हृदय पर तथा नाभि परभी तिलक करना चाहिए तथा महिलाओं को कंठ तक तिलक करना चाहिए। तिलक करने से पहले ॐ आँ ह्रीं क्लौँ अर्हते नमः' मन्त्र सात बार बोलकर केशर को अभिमन्त्रित करना चाहिए। • 'मैं भगवान की आज्ञा शिरोधार्य करता हूँ,'ऐसी भावना रखते हुए कपाल पर' आज्ञाचक्र के स्थान परतिलक करना चाहिए। प्रक्षाल हेतु पंचामृत तैयार करने की विधि • गाय का दूध-५०% निर्मल पानी-२५% दही-१०% तथा गाय का घी-५%= १००% पंचामृत । प्रक्षाल के लिए पंचामृत मुखकोश बांधकर स्वयं ही मौन पूर्वक बनाना चाहिए। कुआँ, तालाब अथवा बरसात का पानी छानकर प्रयोग करना चाहिए। परन्तु नल का पानी अथवा बिना छाने हुए पानी का प्रयोग नहीं करना चाहिए। यदि मात्र दूध से ही पक्षाल करना हो तो दूध में मात्र एक चम्मच पानी डालकर पक्षाल के लिए तैयार करना चाहिए। (37 ACCOU
SR No.009609
Book TitleSachitra Jina Pooja Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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