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________________ • चैत्यवन्दन करने से पहेले समझने योग्य बाते पुरुषों को अपनी चादर के छोर पर स्थित झालर से तथा स्त्रियों को सुयोग्य रेशमी साड़ी के छोर से तीन बार भूमि का प्रमार्जन करना चाहिए। चैत्यवन्दन शुरु करने से पहले द्रव्यपूजा के त्याग स्वरूप तीसरी निसीहि तीन बार कहनी चाहिए। यह निसीहि बोलने के बाद पाटले पर की गई अक्षतादि द्रव्यपूजा के साथ सम्बन्ध नहीं रहता है। अतः उस पाटला का संरक्षण आदि करने से अथवा ऊँगलियों से उसे सीधा करने से निसीहि का भंग होता है। चैत्यवन्दन शुरु करने से पहले योगमुद्रा में 'ईरियावहियं' अवश्य करनी चाहिए। मंदिर में एक चैत्यवन्दन करने के बाद तुरन्त ही दूसरा चैत्यवन्दन या देववन्दन करने की भावना हो तो मंदिर में आने-जाने से पानी-फूल आदि की विराधना नहीं हुई हो तो दूसरी बार ईरियावहियं करने की आवश्यकता नहीं रहती है। यदि विराधना हुई हो अथवा १०० कदम से अधिक आना .......... (85
SR No.009609
Book TitleSachitra Jina Pooja Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamyadarshanvijay, Pareshkumar J Shah
PublisherMokshpath Prakashan Ahmedabad
Publication Year
Total Pages123
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, Ritual, & Vidhi
File Size2 MB
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