SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ D:IVIPULIBOO1.PM65 (9) (तत्त्वार्थ सूत्र **** *** ****अध्याय - 100 101 102 102 104 107 तत्त्वार्थ सूत्र ********# #अध्याय -D ज्योतिष्क देवों के भेद ज्योतिष्क देवों का गमन और उसके द्वारा कालका विभाग एक चन्द्र का परिवार स्थिर ज्योतिष्क देव ___ "बहिरवस्थिताः' सूत्र की आवश्यकता वैमानिक देवों का वर्णन वैमानिक देवों के भेद स्वर्ग आदि के नाम तथा उनकी अवस्थिति का वर्णन बारह इन्द्र वैमानिक देवों में अधिकता और हीनता शरीर की ऊंचाई तथा उत्पाद वैमानिकों में लेश्या का नियम लोकान्तिक देवों का वर्णन अनुत्तर विमानवासी देवों की विशेषता एक भवावतारी जीव तिर्यञ्चों की पहिचान तिर्यंञ्चों का अलग लोक क्यों नहीं बतलाया भवनवासी देवों की उत्कृष्ट आयु वैमानिकों की उत्कृष्ट आयु बारहवें स्वर्ग तक ही कुछ अधिक आयु क्यों? वैमानिकों की जघन्य आयु नारकियों की जघन्य आयु भवनवासियों की जघन्य आयु व्यन्तर देवों की आयु ज्योतिष्क देवों की आयु लौकान्तिक देवों की आयु पंचम अध्याय अजीव के भेद अजीव द्रव्य का विशेष कथन पुद्गल आकाश द्रव्य प्रदेशों की संख्या आकाश के प्रदेश पुद्गल के प्रदेश परमाणु के प्रदेश कौन द्रव्य कितने लोकाकाश में रहता है ? प्रत्येक द्रव्य का कार्य धर्म और अधर्म द्रव्य के कार्य को लेकर शङ्का-समाधान आकाश द्रव्य के कार्य को लेकर शंका-समाधान शब्द पौद्गालिक है आकाश द्रव्य का उपकार पुद्गल द्रव्य का उपकार जीवकृत उपकार काल का उपकार पुद्गल का लक्षण पुद्गल की पर्याय पुद्गल के भेद स्कन्ध की उत्पत्ति के कारण अणु की उत्पत्ति द्रव्य का लक्षण सत् का लक्षण नित्यत्व का स्वरूप पौद्गलिक बन्ध के हेत पौद्गलिक बंध के नियम 108 109 111 111 112 113 114 115 116 116 118 118 119
SR No.009608
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorUmaswati, Umaswami
AuthorKailashchandra Shastri
PublisherPrakashchandra evam Sulochana Jain USA
Publication Year2006
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Tattvartha Sutra
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy