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________________ वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी क्षेत्र स्वभाव से ये सभी लोग तीर्थंकर के पास पहुँचेगे। अतः सीमंधर स्वामी को रटते रहे। उनको भजते है और बाद में वहाँ उनके दर्शन करेंगे और उनके पास बैठेंगे लोग और मोक्ष में जाते रहेगें। हम जिन्हें ज्ञान देते है, वे एक-दो अवतारी होंगे। फिर उन्हें वहाँ सीमंधर स्वामी के पास ही जाना है। उनके दर्शन करने का । तीर्थंकर के दर्शन करने का मात्र शेष रहा। बस, दर्शन होते ही मोक्ष। ओर सभी दर्शन हो गये। यह अंतिम दर्शन करे, वह इस दादा से आगे के दर्शन है। यह दर्शन हो गये कि तुरन्त मोक्ष। प्रश्नकर्ता : जितने लोग सीमंधर स्वामी के दर्शन करते है, बाद में वे सभी मोक्ष में जायेगें? दादाश्री : वह दर्शन करने से मोक्ष में जाये ऐसा कुछ नहीं होता। उनकी कृपा प्राप्त होनी चाहिए। हृदय शुद्ध हो। वहाँ पर हृदय शुद्ध होने के बाद उनकी कृपा उतरती जायेगी। ये तो सुनने के लिए आये और कान को बहुत मधुर लगें। सुनकर फिर जहाँ थे वहाँ के वहाँ। उन्हें तो केवल चटनी ही पसंद आयें। सारा थाल नहीं खायें, एक चटनी के खातिर थाल पर बेठा हुआ हो तो मोक्ष नहीं होता। उनके तो सामने आये महाविदेह क्षेत्र ! जिसे यहाँ शुद्धात्मा का लक्ष बैठा हो, वह यहाँ पर भरत क्षेत्र में रह सकता ही नहीं। जिसे आत्मा का लक्ष बैठा हो, वह महाविदेह क्षेत्र में ही पहुँच जाये ऐसा नियम है। यहाँ इस दुषमकाल में रह सकता ही नहीं। यह शुद्धात्मा का लक्ष बैठा, वह महाविदेह क्षेत्र में एक अवतार अथवा दो अवतार करके, तीर्थंकर के दर्शन करके मोक्ष में चला जाये ऐसा आसानसरल मार्ग है यह। उनका अनुसंधान 'दादा भगवान' के द्वारा। सीमंधर स्वामी भगवान को 'फोन' करना हो तो फोन का मिडियम वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी (माध्यम) चाहिए तब फोन पहुँचे। वैसे मिडियम है 'दादा भगवान'। बोलिए, महावीर भगवान इस समय यहाँ दिल्ही में हो और यहाँ से नाम दे तो पहुँच जाये। ऐसे यह भी पहुँच जाता है। यह थोडा आधा मिनट फोन देर से पहुँचे पर पहुँच जाता है। वे स्वयं हाजिर है, लेकिन हमारी दुनिया में नहीं, दूसरी दुनिया में है। उनके साथ हमारा तार और सब कुछ जुड़ा है। याने सारे जगत का कल्याण होना ही चाहिए। हम तो निमित्त है। 'दादा भगवान' थु (के द्वारा) दर्शन कराता है, वह वहाँ तक पहँच जाता है। इसीलिए हमने एक अवतार कहा है न! वह यहाँ से बाद में वहाँ ही जाने का है और उनके निकट बैठने का है। बाद में मुक्ति होगी। इसलिए आज से पहचान करवाते है और 'दादा भगवान' श्रु नमस्कार करवाते है। सीमंधर स्वामी के साथ हमारी इतनी अच्छी पहचान है कि हमारे कहने के अनुसार आप दर्शन करें तो उन तक पहुँचे। वह 'दादा भगवान' थु अवश्य पहुंचे। प्रश्नकर्ता : हम भक्ति करे तो सीमंधर स्वामी को किस तरह पहुँचे ? क्योंकि वे तो महाविदेह क्षेत्रमें है और हम यहाँ है। दादाश्री : कलकत्ता हो तो पहुँचे या नहीं पहुँचे ? प्रश्रकर्ता : वह पहँचे मगर यह तो बहुत दूर है न ? दादाश्री: कलकत्ता जैसा ही है वह। आँख से नहीं दिखता। वह सब कलकत्ता ही कहलाये। वह कलकत्ता में हो कि बडौदा में हो, वह आँख से नहीं दिखता। प्रश्रकर्ता : अर्थात् हम जो भक्ति करें, भाव करें तो वह सब उन्हें वहाँ ... दादाश्री : तुरन्त ही पहुँचे। एक प्रत्यक्ष और एक परोक्ष। परोक्ष तो
SR No.009607
Book TitleVartaman Tirthankar Shri Simandhar Swami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2001
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size314 KB
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