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________________ वाणी, व्यवहार में... प्रश्नकर्ता : सम्यक् मतलब किस प्रकार का? दादाश्री : ओहोहो! आपने इस बच्चे को क्यों फेंका? क्या कारण है उसका? तब वह कहेगा कि, जान-बूझकर मैं फेंकूँगा क्या? वह तो मेरे हाथ में से छूट गया और गिर गया। प्रश्नकर्ता : वह तो उसने गलत कहा न? दादाश्री : वह झूठ बोले वह हमें नहीं देखना है। झूठ बोले या सच बोले वह उसके अधीन है। वह अपने अधीन नहीं है। वह उसकी मर्जी में जैसा आए, वैसा करेगा। उसे झूठ बोलना हो या हमें खतम करना हो वह उसके ताबे में है। रात को हमारी मटकी में जहर डाल दे तो हम तो खतम ही हो जाएंगे न! इसलिए अपने हाथ में जो नहीं है, वह हमें नहीं देखना है। सम्यक् कहना आए तो काम का है कि, 'भाई, इसमें आपको क्या फायदा हुआ?' तो वह अपने आप कबल करेगा। सम्यक नहीं कहते और आप पाँच सेर का दो तो सामनेवाला दस सेर का लौटाएगा! प्रश्नकर्ता : कहना नहीं आए तो फिर क्या करना चाहिए? चुप बैठना चाहिए? दादाश्री : मौन रहना और देखते रहना कि 'क्या होता है?' सिनेमा में बच्चों को पटकते हैं, तब क्या करते हैं हम? कहने का अधिकार है सभी को, पर क्लेश बढ़े नहीं उस तरह कहने का अधिकार है, बाक़ी जो कहने से क्लेश बढ़े वह तो मूर्ख का काम है। प्रश्नकर्ता : अबोला लेकर बात को टालने से उसका निकाल हो सकता है? दादाश्री : नहीं हो सकता। हमें तो सामनेवााला मिले तो कैसे हो? कैसे नहीं? ऐसे कहना चाहिए। सामनेवाला जरा शोर मचाए तो हमें ज़रा धीरे से 'समभाव से निकाल' करना चाहिए। उसका निकाल तो करना ही पड़ेगा न, जब कभी भी? अबोला करने से क्या निकाल हो गया? वह निकाल नहीं होता, इसलिए तो अबोला खड़ा होता है। अबोला मतलब ५२ वाणी, व्यवहार में... बोझा, जिसका निकाल नहीं हुआ उसका बोझा। हमें तो तुरन्त उसे खड़ा रखकर कहना चाहिए, 'ठहरो न, मेरी कोई भूल हुई हो तो मुझे कहो, मेरी बहुत भूलें होती हैं। आप तो बहुत होशियार, पढ़े-लिखे इसलिए आपकी नहीं होती, पर मैं कम पढ़ा-लिखा हूँ इसलिए मेरी बहुत भूलें होती हैं, ऐसा कहें तो वह खुश हो जाएगा।' प्रश्नकर्ता : ऐसा कहने पर भी वह नरम नहीं पड़ें तब क्या करें? दादाश्री : नरम नहीं पड़े तो हमें क्या करना है? हमें तो कहकर छोड़ देना है। फिर क्या उपाय है? कभी न कभी तो नरम पड़ेंगे। डाँटकर नरम करो तो उससे कोई नरम होता नहीं है। आज नरम दिखेगा, पर वह मन में नोंध रखेगा और हम जब नरम हो जाएँगे, उस दिन वह सारा वापिस निकालेगा। यानी जगत् बैरवाला है। कुदरत का नियम ऐसा है कि हरएक जीव अंदर बैर रखता ही है। भीतर परमाणुओं का संग्रह करके रखते हैं। इसलिए हमें पूरा केस ही ख़ारिज कर देना चाहिए। प्रश्नकर्ता : हम सामनेवाले को अबोला तोड़ने के लिए कहें कि 'मेरी भूल हो गई, अब माफ़ी माँगता हूँ', तो भी वह अधिक अकड़ने लगे तो क्या करना चाहिए? दादाश्री : तो हमें कहना बंद कर देना चाहिए। उसका स्वभाव टेढ़ा है ऐसा जानकर बंद कर देना चाहिए हमें। उसे ऐसा कुछ उल्टा ज्ञान हो गया होगा कि 'बहुत नमे नादान' वहाँ फिर दूर ही रहना चाहिए। फिर जो हिसाब हो, वह सही। परन्तु जितने लोग सरल हों न, वहाँ तो हल ले आना चाहिए। घर में कौन-कौन सरल है और कौन-कौन टेढ़ा है, हम वह नहीं समझते? प्रश्नकर्ता : सामनेवाला सरल नहीं हो तो उसके साथ हमें व्यवहार तोड़ देना चाहिए? दादाश्री : नहीं तोड़ना चाहिए। व्यवहार तोड़ने से टूटता नहीं है। व्यवहार तोड़ने से टूटे, ऐसा है भी नहीं। इसलिए हमें वहाँ मौन रहना चाहिए
SR No.009606
Book TitleVaani Vyvahaar Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages45
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size33 KB
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