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________________ सेवा-परोपकार २३ प्रश्नकर्ता: जब तक उसकी कोई कामना है, तब तक अध्यात्म में किस तरह जा सकेंगे? दादाश्री : हाँ, कामना होती है, वह ठीक है। कामना होती है, पर हमारे हाथ में सत्ता नहीं है वह । प्रश्नकर्ता: वह कामना किस तरह मिटे ? दादाश्री : उसकी कामना के लिए ऐसा सब आता ही है फिर । आपको बहुत उसकी माथापच्ची नहीं करनी । आध्यात्मिक करते रहो । यह भौतिक समुद्धि तो बाय प्रोडक्ट है। आप आध्यात्मिक प्रोडक्शन शुरू करो, इस दिशा में जाओ और आध्यात्मिक प्रोडक्शन शुरू करो तो भौतिक समृद्धियाँ, बाय प्रोडक्ट, आपको फ्री ऑफ कोस्ट मिलेंगी। प्रश्नकर्ता : अध्यात्म तरह से जाना हो तो, क्या कहना चाहते हो? किस प्रकार जाना? दादाश्री : नहीं, पर पहले यह समझ में आता है कि अध्यात्म का आप प्रोडक्शन करो तो भौतिक बाय प्रोडक्ट है? ऐसा आपकी समझ में आता है? प्रश्नकर्ता: ऐसा मानता हूँ कि आप कहते हैं, वह मुझे समझ में नहीं आता है। दादाश्री : इसलिए मानो तो भी यह सब बाय प्रोडक्ट है। बाय प्रोडक्ट यानी फ्री ऑफ कोस्ट। इस संसार के विनाशी सुख सारे फ्री ऑफ कोस्ट मिले हुए हैं। आध्यात्मिक सुख प्राप्त करने जाते, रास्ते में यह बाय प्रोडक्शन मिला है। प्रश्नकर्ता: हमने ऐसे कई लोग देखे हैं कि जो अध्यात्म में जाते नहीं हैं, पर भौतिक रूप से बहुत समृद्ध हैं और उसमें वे सुखी हैं। सेवा - परोपकार दादाश्री : हाँ, वे अध्यात्म में जाते नज़र नहीं आते, मगर उसने जो अध्यात्म किया था, उसका फल है यह । २४ प्रश्नकर्ता : यानी इस जन्म में अध्यात्म करे, तो अगले जन्म में भौतिक सुख मिलेगा ? दादाश्री : हाँ, उसका फल अगले भव में मिलेगा आपको। फल दिखता है आज और आज अध्यात्म में नहीं भी हों। कार्य का हेतु, सेवा या लक्ष्मी हरएक कार्य का हेतु होता है कि किस हेतु से यह कार्य किया जा रहा है। उसमें उच्च हेतु यदि तय किया जाए, अर्थात् क्या कि यह अस्पताल शुरू करना है, मतलब पेशन्ट कैसे स्वास्थ्य प्राप्त करें, कैसे सुखी हों, कैसे वे लोग आनंद में आएँ, कैसे उसकी जीवनशक्ति बढ़े, ऐसा अपना उच्च हेतु तय किया हो और सेवाभाव से ही काम किया जाए, तब उसका बाय-प्रोडक्शन क्या? लक्ष्मी ! इसलिए लक्ष्मी वह बाय प्रोडक्ट है, उसे प्रोडक्शन मत मानना सारा संसार लक्ष्मी का ही प्रोडक्शन करता है, इसलिए फिर उसे बाय प्रोडक्शन का लाभ मिलता नहीं है। इसलिए, सेवाभाव अकेला ही आप नक्की करो तो उसमें बाय प्रोडक्शन में लक्ष्मी तो फिर अधिक आती है। इसलिए लक्ष्मी को यदि बाय प्रोडक्ट में ही रहने दें तो लक्ष्मी अधिक आती है, पर यह तो लक्ष्मी के हेतु से ही लक्ष्मी का प्रोडक्शन करते हैं, इसलिए लक्ष्मी आती नहीं । इसलिए हम आपको हेतु कहते हैं कि यह हेतु रखो, 'निरंतर सेवाभाव', तो बाय प्रोडक्ट अपने आप ही आता रहेगा। जैसे बाय प्रोडक्ट में कोई मेहनत नहीं करनी पड़ती, खर्चा नहीं करना पड़ता, वह फ्री ऑफ कोस्ट होता है, वैसे यह लक्ष्मी भी फ्री ऑफ कोस्ट मिलती है। आपको ऐसी लक्ष्मी चाहिए कि ऑन की लक्ष्मी चाहिए? ऑन की लक्ष्मी नहीं
SR No.009603
Book TitleSeva Paropkar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size270 KB
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