SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 13
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सत्य-असत्य के रहस्य है, मिथ्या है, ले जा' ऐसा कहेगा?! जगत्, रिलेटिव सत्य 'ब्रह्म सत्य और जगत् मिथ्या' वह बात हंड्रेड परसेन्ट रोंग है। जगत् मिथ्या, वह बात गलत है। प्रश्नकर्ता : सत्य और मिथ्या कहा, इसमें सत्य, सत्य किस तरह से है। और मिथ्या, मिथ्या किस तरह से है? दादाश्री : हाँ, तो यह जगत् मिथ्या होता नहीं है कभी भी। ब्रह्म भी सत्य है और जगत् भी सत्य है। ब्रह्म वह रियल सत्य है और जगत् वह रिलेटिव सत्य है। बस, उतना ही फर्क है। ब्रह्म अविनाशी करेक्ट है और जगत् विनाशी करेक्ट है। दोनों की करेक्टनेस में कोई कमी नहीं है। सत्य-असत्य के रहस्य एक्जेक्ट होना चाहिए, मनुष्य को फिट हो जाए ऐसा होना चाहिए। आपको नहीं लगता कि फिट हो वैसा वाक्य होना चाहिए? प्रश्नकर्ता : हाँ, ठीक है। दादाश्री : ये सुख सारे सत्य नहीं लगते? प्रश्नकर्ता : लगते हैं। दादाश्री : मिथ्या होते तो कभी का छोड देता और भाग जाता। और यही सत्यता का प्रमाण है। इसीलिए तो ये लोग इसमें मजे करते हैं। ये तो जलेबी खा गया हो न तो भी स्वाद आता है और लोग ये आम नहीं खाते होंगे? तब यह कोई बनावट है? फिर यह मृगतृष्णा के जल जैसा भी नहीं है यह जगत्। लोगों ने कहा, 'मृगतृष्णा के जल जैसा है!' पर ओहोहो! यह तो करेक्ट है। अंदर जलन होती है न, तो सारी रात नींद नहीं आती कितनों को तो! इसलिए इस जगत् को कहीं मिथ्या कहा जाता होगा? 'मिथ्या' कहें तो हम मानेंगे? रात को सो गया हो, मुँह थोड़ा खुला हो, और मुँह में थोडी मिर्ची डाल दें, तो हमें उठाना पड़ेगा? मिथ्या हो न, तब जगाना पड़े। पर यह तो अपने आप ही जग जाता है न! यह तो दूसरों के घर पर कहेगा, 'शांत रहो. भाई। वह तो बेटा मर जाता है, इसमें शांत रहो।' और उसके घर बेटा मर जाए तब?! खुद के घर बेटा मर जाए तब मिथ्यात्व दिखाओ न आप! यह तो किसीके बच्चे मर जाएँ तब मिथ्या(!) कहेगा तब, यह जगत् मिथ्या है, वह बात सच है? यह तो दूसरों के घर मिथ्या, हं! तेरे घर तो रोता है फिर! चुप करवाएँ तब कहेगा, 'भाई, मुझे तो सारी रात भुलाए नहीं जाते।' अरे, तू मिथ्या कह रहा था न?! वहाँ पर 'ब्रह्म सत्य-जगत् मिथ्या' बोल न! या फिर अभी एक भाई और उनकी पत्नी, दोनों साथ में जा रहे हों और कोई व्यक्ति आकर उसकी पत्नी को उठा जाए, उस घड़ी वह पति 'मिथ्या है, मिथ्या है' बोलेगा? क्या बोलेगा? सत्य मानकर ही व्यवहार करेगा न? या 'मिथ्या जगत भी सत्य है, वैसा पद्धतिपूर्वक कहना चाहिए न? जिस बात को बाद में कोई काट दे वह किस काम की? 'ब्रह्म रियल सत्य है और जगत रिलेटिव सत्य है उसे कोई काट नहीं सकता, एट एनी टाइम (किसी भी समय)!! नहीं है यह प्रतिभासित सत्य प्रश्नकर्ता : संसार जो है वह प्रतिभासित सत्य है, बाक़ी तो सर्वत्र ब्रह्म ही है, ऐसा कहते हैं न? दादाश्री : सर्वत्र ब्रह्म भी नहीं है और प्रतिभासित सत्य भी नहीं है यह तो। यह संसार तो रिलेटिव सत्य है। यह वाइफ, वह प्रतिभासित सत्य है? अरे... कंधे पर हाथ रखकर सिनेमा देखने जाते हैं न! एक बच्चा भी साथ में होता है, इसलिए यह रिलेटिव सत्य है, यह गप्प नहीं है। प्रतिभासित नहीं है यह। प्रतिभासित तो किसे कहा जाता है? हम तालाब में देखें और मुँह दिखे वह प्रतिभासित कहलाता है। यह तो सारा भ्रांति की आँखों से सब दिखता है और वह पूरा गलत नहीं है। व्यवहार है। यह व्यवहार से सत्य है और आत्मा रियल सत्य है। यह सारा व्यवहार
SR No.009602
Book TitleSatya Asatya Ke Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size212 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy