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________________ (नमस्कार विधि * प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र में विचरते, तीर्थंकर भगवान श्री सीमंधर स्वामी को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (४०) * प्रत्यक्ष दादा भगवानकी साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रो में विचरते' ॐ परमेष्टि भगवंतो' को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता है। * सारे ब्रह्मांड के जीवमात्र के 'रियल' स्वरूप को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। * 'रियल' स्वरूप वही भगवद् स्वरूप है। इसीलिए सारे जग को भगवद् स्वरूप' में दर्शन करता हूँ। 'रियल' स्वरूप वही शुद्धात्मा स्वरूप है। इसीलिए सारे जग को 'शुद्धात्मा स्वरूप' में दर्शन करता हूँ। * 'रियल' स्वरूप वही तत्त्व स्वरूप है। इसीलिए सारे जग को 'तत्त्वज्ञान' से दर्शन करता हूँ। (वर्तमान तीर्थंकर श्री सीमंधर स्वामी को परम पूजनीय श्री दादा भगवान के माध्यम द्वारा प्रत्यक्ष नमस्कार पहूँचते है। कौसमें लिखी संख्या के अनुसार प्रतिदिन एक बार पढ़ें।) * प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में विचरते पंच परमेष्टि भगवंतो' को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। * प्रत्यक्ष दादा भगवान की साक्षी में वर्तमान में महाविदेह क्षेत्र और अन्य क्षेत्रो में विहरमान तीर्थंकर साहिबों' को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (नौ कलमें ) * वीतराग शासन देव-देवीयों को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। १) * निष्पक्षपाती शासन देव-देवीयों को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कारकरता * चौबीस तीर्थंकर भगवंतो को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ।(५) * 'श्री कृष्ण भगवान' को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। (५) * भरत क्षेत्र में हाल विचरते सर्वज्ञ 'श्री दादा भगवान' को निश्चय से ___ अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कार करता हूँ। * 'दादा भगवान' के सभी समकितधारी महात्माओं को अत्यंत भक्तिपूर्वक नमस्कर करता हूँ। हे दादा भगवान! मुझे कोई भी देहधारी जीवात्मा का किंचित्मात्र भी अहम न दुभाय, न दुभाया जाय या दुभाने के प्रति न अनुमोदना की जाय ऐसी परम शक्ति दो। मुझे कोई भी देहधारी जीवात्मा का किंचित्मात्र भी अहम न दुभाय ऐसी स्यादवाद बानी, स्यादवाद वर्तन और स्यादवाद मनन करने की परम शक्ति दो। हे दादा भगवान ! मुझे कोई भी धर्म का किंचित्मात्र भी प्रमाण न दुभाय, न दुभाया जाय या दुभाने के प्रति न अनुमोदना की जाय ऐसी परम शक्ति दो। मुझे कोई भी धर्म का किंचित्मात्र भी अहम न दुभाय ऐसी स्यादवाद बानी, स्यादवाद वर्तन और स्यादवाद मनन करने की परम शक्ति दो।
SR No.009599
Book TitlePratikraman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2007
Total Pages57
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size39 KB
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