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________________ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार १०७ १०८ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार दादाश्री : उसमें बीवी का क्या दोष? वहाँ लड़कर आया हो तब बीवी समझ जाती है कि आज मूड में नहीं है। मड में नहीं होता न? है तो होली डे (छुट्टी का दिन)। दो ही दिन सुधारने के, सवेरे से लेकर शाम तक। दो में परिवर्तन लाये तो सभी परिवर्तन हो जाएंगे। दो की व्यवस्था कर दी कि हर दिन उस प्रकार चलता रहे फिर। और उस प्रकार चलें तो यह सब सुलझ जाए। लम्बा परिवर्तन करना ही नहीं है। इन दो की व्यवस्था की कि सभी दिन उनमें समा गए। प्रश्नकर्ता : वह व्यवस्था कैसे करने की? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : अतः ऐसी व्यवस्था एक दिन की कर दो, वर्किंग डे की और एक होली डे की। दो ही तरह के दिन आते हैं। तीसरा दिन कोई आता नहीं न? इसलिए दो दिनों की व्यवस्था की, उसके अनुसार चलता रहे फिर। प्रश्नकर्ता : अब छुट्टी के दिन क्या करें? दादाश्री : छुट्टी के दिन तय करना कि आज छुट्टी का दिन है, बाल-बच्चे, वाइफ, सभी को कहीं घूमने को नहीं मिलता है, इसलिए आज भोजन के बाद घुमाने ले जाएँगे। अच्छे-अच्छे भोजन बनाने चाहिएँ। भोजन के बाद घुमाने ले जाना चाहिए। फिर घूमने में खर्च की मर्यादा रखने की कि होली डे के दिन इतना ही खर्च! किसी वक्त एकस्ट्रा (ज्यादा) करना पड़े तब हम बजट बनायेंगे, वर्ना इतना ही खर्च। हमें यह सब तय करना चाहिए। वाइफ के पास ही तय करवाना चाहिए। दादाश्री : क्यों? पहले तो सवेरे जल्दी उठने का रिवाज़ रखना चाहिए। क्योंकि मनुष्य को क़रीब पाँच बजे उठना चाहिए। आधा घण्टा अपनी एकाग्रता का सेवन करना चाहिए। सवेरे उठने पर पहले तो भगवान का स्मरण जो करना हो वह कर लेना। किसी इष्टदेव या जो भी हो, उनकी भक्ति आधे घण्टे जितनी करनी चाहिए। फिर ऐसा रोज चलता रहे। बाद में ब्रश आदि सब कर लेना। ब्रश में भी सिस्टम (प्रणाली) कर देने की। हम खुद ही ब्रश लें, सब-कुछ खुद ही करें, अन्य किसी को (मदद के लिए) नहीं कहना चाहिए। अगर बीमार-वीमार हों तो बात अलग है। फिर चाय-पानी आए तब तकरार नहीं करनी चाहिए और जो आया वह पी लेना चाहिए, और बाद में चाय पीने के बाद उनसे कहना कि थोडी शक्कर कम पड़ती है तो कल से जरा ज्यादा डाला करो। उनको चेतावनी देनी है हमें। तकरार मत करना। चाय के साथ नाश्ता-वाश्ता जो करना हो वह कर लिया और फिर खाना खाकर जॉब (काम) जाना। जॉब पर हमें फ़र्ज अदा करना होता है। घर से तकरार किए बगैर निकलने का। फिर जॉब करके वापस आएँ तब जॉब पर बॉस (मालिक) के साथ झंझट हो गई हो, उसे रास्ते में शांत कर देना। इस ब्रेईन (दिमाग़) की नट दबा देना, अगर वह रेज़ (गरम) हो गई हो तो। शांत होकर घर जाना ताकि घर में कुछ तकरार नहीं हो। बॉस के साथ लड़ता है, उसमें बीवी का क्या दोष बेचारी का? तेरा बॉस के साथ झगड़ा होता है या नहीं होता? प्रश्नकर्ता : होता है। प्रश्नकर्ता : वे कहते हैं कि घर में पूरनपूरी (मीठी रोटी) खानी चाहिए। पीज्जा खाने बाहर नहीं जाना चाहिए। दादाश्री : खुशी खुशी से पूरनपूरी खाओं, पकोड़े खाओ, जलेबी खाओ, सब खाओं। जो चाहे सो खाओ। प्रश्नकर्ता : लेकिन होटल में पीज्जा खाने मत जाना। दादाश्री : पीज्जा खाने? वह हमसे कैसे खाया जाए? हम तो आर्य प्रजा। फिर भी शौक़ हो तो दो-चार बार खिलाकर फिर धीरे-धीरे छुड़वा देना। धीरे-धीरे छुड़वा देना, एकदम से हम बंद कर दें वह गलत है। प्रश्नकर्ता : वाइफ को कुछ अच्छा बनाने का शौक़ नहीं हो तो हमें क्या करना चाहिए?
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
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