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________________ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार ३१ नहीं करना। खुजली आती हो तब बाहर झगड़ा करते हैं पर घर में नहीं।" बीवी ने सुलेमान से मिठाई लाने को कहा हो, अब सुलेमान को तनख्वाह कम मिलती हो, इसलिए वह बेचारा मिठाई कहाँ से लाये ? सुलेमान से बीवी महीने भर से कहती रहती हो कि 'इन सभी बच्चों को, बेचारों को बहुत इच्छा है। अब तो मिठाई ले आओ।' फिर एक दिन बीवी मन में बहुत अकुलाये तो वह कहता है, 'आज तो लेकर ही आऊँगा, उसके पास जवाब नक़द होता है, जानता है कि जवाब उधार रखूँगा तो गालियाँ देगी। तब फिर कहता है कि 'आज लाऊँगा।' ऐसा कहकर टाल देता है। अगर जवाब नहीं दे तो जाते समय बीवी किटकिट करेगी। इसलिए तुरन्त पोजिटिव (सकारात्मक) जवाब दे देता है। कि ' आज ले आऊँगा।' इसलिए बीवी समझती है कि आज लेकर आएंगे, पर वह आता है और खाली हाथ देखकर बीवी चिल्लाती है। सुलेमान यूँ तो समझ में बड़ा पक्का होता है, इसलिए बीवी को समझा देता है कि, 'मेरी हालत मैं ही जानता हूँ, तुम क्या समझो।' एक-दो वाक्य ऐसे कहता है कि बीवी कहेगी, अच्छा बाद में लाना। पर दस-पंद्रह दिन बाद बीवी फिर से कहती है तो, 'मेरी हालत मैं जानता हूँ।' ऐसा कहता है और बीवी तो मान जाती है। वह कभी झगड़ा नहीं करती। और कई लोग तो उसी समय कहते हैं कि 'तू मुझ पर रोब जमाती है ?' अरे, ऐसा स्त्री के पास नहीं बोलते। उसका मतलब, तू स्वयं बोलता है, 'तू दबा हुआ है।' और माना कि आज रोब जमाती है तो हमें शांत रहना चाहिए। जिसमें निर्बलता हो वह चिढ़ता है। औरंगाबाद में एक हकीम का लड़का आया था। उसने सुना होगा कि दादा के पास कुछ अध्यात्म ज्ञान जानने योग्य है। इसलिए वह लड़का आया। तब मैंने सत्संग की सारी बातें बताई। वैज्ञानिक तरीके से बात की, इसलिए उसके मन में हुआ कियह वैज्ञानिक पद्धति अच्छी है, हमारे सुनने लायक है। आज तक चला, वह जमाने के अनुसार लिखा गया है। जैसा जमाना था ऐसा वर्णन किया है। अर्थात् जमाना जैसे-जैसे बदलता है वैसे ३२ पति-पत्नी का दिव्य व्यवहार वर्णन बदलता जाता है। और पैगंबर साहब यानी क्या? खुदा का पैग़ाम यहाँ लाकर सबको पहुँचाये उसका नाम पैगंबर | फिर मैंने उसका मज़ाक किया, मैंने पूछा कि 'अरे, शादी-वादी की है या ऐसे ही घूम रहा है?' 'शादी की है' कहता है। मैंने कहा, 'कब की? मुझे बुलाया नहीं तूने?' 'दादाजी मेरी आपसे पहचान नहीं थी वर्ना बुलाता उस दिन, शादी हुए छह महीने ही हुए हैं अभी।' उसने बताया। 'नमाज़ कितनी बार पढ़ता है?' 'साहब, पाँचों बार' कहने लगा। अरे, रात को किस प्रकार नमाज़ पढ़ना अनुकूल होगा तीन बजे ? 'करने की ही, उसमें चलेगा ही नहीं, तीन बजे उठकर अदा करने की। छोटी उम्र से ही करता आया हूँ । मेरे फादर हक़ीम साहब भी करते थे।' फिर मैंने पूछा, 'अब तो बीवी आई, अब कैसे करने देगी, तीन बजे?' 'बीवी ने भी मुझसे कहा है, तुम नमाज़ अदा कर लेना।' तब मैंने पूछा, 'बीवी के साथ झगड़ा नहीं होता?" "यह क्या बोले ? यह क्या बोले ?' मैंने कहा, 'क्यों?' 'ओहोहो बीवी तो मुँह का पान ! वह मुझे डाँटे तो चला लूँ, साहब। बीवी की वजह सेतो जीता हूँ, बीवी मुझे बहुत सुख देती है। बहुत अच्छा-अच्छा भोजन पकाकर खिलाती है। उसे दुःख कैसे दिया जाए?' अब इतना समझे तो भी गनीमत । बीवी पर जोर नहीं चलाते। हमें नहीं समझना चाहिए? बीवी का कुछ गुनाह है ? 'वह गाली दे तब भी कुछ हर्ज नहीं। दूसरा कोई गाली दे तो देख लूँ।' देखो! अब इन लोगों को कितनी क़ीमत है ! दूसरों की भूल निकालने की आदत प्रश्नकर्ता: भूल निकालें तब उसे बुरा लगता है। और नहीं निकालें तब भी बुरा लगता है। दादाश्री : नहीं, नहीं, बुरा नहीं लगता है। हम भूल नहीं निकालें तो वह कहेगी, 'कढ़ी खारी थी फिर भी नहीं कहा!' तब हम कहें, 'तुम्हें पता चलेगा न, मैं क्यों कहूँ?' पर यह तो कढ़ी खारी हुई तो मुँह बिगाड़े, कढ़ी बहुत खारी है ! अरे ! किस बिरादरी के मनुष्य हो? इसे पति के रूप में कैसे रख सकते हैं? ऐसे पति को निकाल बाहर करना चाहिए। ऐसे
SR No.009598
Book TitlePati Patni Ka Divya Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages65
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size43 KB
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