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________________ मृत्यु समय, पहले और पश्चात्... ३० मृत्यु समय, पहले और पश्चात्... जन्म पाएँगी। जन्म के साथ मृत्यु जोइन्ट हुआ है। जन्म हो, वहाँ मृत्यु अवश्य होती ही है! कहते हैं। पर है। अगले जन्म के डिस्चार्ज' होती है। इ प्रश्नकर्ता : मृत्यु किस लिए है? दादाश्री : मृत्यु तो ऐसा है न, इस देह का जन्म हुआ न वह एक संयोग है, उसका वियोग हुए बगैर रहता ही नहीं न! संयोग हमेशा वियोगी स्वभाव के ही होते हैं। हम स्कूल में पढ़ने गए थे, तब शुरूआत की थी या नहीं, बिगिनिंग? फिर एन्ड आया कि नहीं आया? हरएक चीज़ बिगिनिंग और एन्डवाली ही होती है। यहाँ पर इन सभी चीजों का बिगिनिंग और एन्ड होता है। नहीं समझ में आया तुझे? प्रश्नकर्ता : समझ में आया न! दादाश्री : ये सभी चीजें बिगिनिंग-एन्डवाली, परन्तु बिगिनिंग और एन्ड को जो जानता है, वह जाननेवाला कौन है? बिगिनिंग-एन्डवाली सभी वस्तुएँ हैं, वे टेम्परेरी (अस्थायी) वस्तुएँ हैं। जिसका बिगिनिंग होता है, उसका एन्ड होता है, बिगिनिंग हो उसका एन्ड होता ही है अवश्य। वे सभी टेम्परेरी वस्तुएँ हैं, मगर टेम्परेरी को जाननेवाला कौन है? तू परमानेन्ट है, क्योंकि तू इन वस्तुओं को टेम्परेरी कहता है, इसलिए तू परमानेन्ट है। यदि सभी वस्तुएँ टेम्परेरी होती तो फिर टेम्परेरी कहने की ज़रूरत ही नहीं थी। टेम्परेरी सापेक्ष शब्द है। परमानेन्ट है, तो टेम्परेरी है। हैं। वे इफेक्ट पूर्ण होते हैं, तब 'बेटरियों' से हिसाब पूरा हो जाता है। तब तक वे बेटरियाँ रहती हैं और फिर खतम हो जाती हैं, उसे मृत्यु कहते हैं। पर तब फिर अगले जन्म के लिए भीतर नयी बेटरियाँ चार्ज हो गई होती हैं। अगले जन्म के लिए भीतर नयी बेटरियाँ चार्ज होती ही रहती है और पुरानी 'बेटरियाँ' 'डिस्चार्ज' होती है। ऐसे 'चार्जडिस्चार्ज' होता ही रहता है। क्योंकि उसे 'रोंग बिलीफ़' है। इसलिए 'कॉज़ेज़' उत्पन्न होते हैं। जब तक 'रोंग बिलीफ़' हैं, तब तक रागद्वेष और कॉजेज़ उत्पन्न होते हैं। और वह 'रोंग बिलीफ़' बदले और 'राइट बिलीफ़ बैठे, तब फिर राग-द्वेष और 'कॉज़ेज़' उत्पन्न होते नहीं। पुनर्जन्म प्रश्नकर्ता : जीवात्मा मरता है, फिर वापस आता है न? दादाश्री : ऐसा है न, फ़ॉरेनवालों का वापस नहीं आता है, मुस्लिमों का वापस नहीं आता है, लेकिन आपका वापस आता है। आप पर भगवान की इतनी कृपा है कि आपका वापस आता है। यहाँ से मरा कि वहाँ दूसरी योनि में पैठ गया होता है। और उनका तो वापस नहीं आता। अब वास्तव में वापस नहीं आते, ऐसा नहीं है। उनकी मान्यता ऐसी है कि यहाँ से मरा यानी मर गया, लेकिन वास्तव में वापस ही आता है। पर उन्हें समझ आता नहीं है। पुनर्जन्म ही समझते नहीं हैं। आपको पुनर्जन्म समझ में आता है न? शरीर की मृत्यु हो, तो वह जड़ हो जाता है। उस पर से साबित होता है कि उसमें जीव था, वह निकलकर दूसरी जगह गया। फ़ॉरेनवाले तो कहते हैं कि यह वही जीव था और वही जीव मर गया। हम वह कबूल करते नहीं हैं। हम लोग पुनर्जन्म में मानते हैं। हम 'डेवलप' (विकसित) हुए हैं। हम वीतराग विज्ञान को जानते हैं। वीतराग विज्ञान कहता है, पुनर्जन्म के आधार पर हम इकट्ठे हुए हैं, ऐसा हिन्दुस्तान में मृत्यु का कारण प्रश्नकर्ता : तो मृत्यु किस लिए आती है? दादाश्री: वह तो ऐसा है, जब जन्म होता है. तब ये मन-वचनकाया की तीन बेटरियाँ हैं, जो गर्भ में से इफेक्ट (परिणाम) देती जाती
SR No.009594
Book TitleMrutyu Samaya Pahle Aur Pashchat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages31
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size226 KB
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