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________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार दादाश्री: उनका इरादा नहीं है. उनका इरादा तो भला करने का है। फिर गलती हो जाए तो हमारे प्रारब्ध का खेल है। क्या करना? और तम यदि स्वतंत्र रूप से खोजोगे तो उसमें गलती होने की ज्यादा संभावना है। बहुत से उदाहरण हैं, फेल होने के। हमारे एक महात्मा थे, उनका इकलौता बेटा था। मैंने उसे पूछा, 'अरे ! तुझे शादी करनी है कि नहीं?' तब कहे. 'करूँगा दादाजी।''कैसे लड़की पास करेगा?' तब कहे, 'आप कहें ऐसा करूँगा।' फिर अपने आप कहने लगा, 'मेरी मम्मी तो पास करने में होशियार है।' इन लोगों ने डिसाइड कर लिया है, तो मम्मी जो पास करे सो, इस प्रकार होना चाहिए। प्रश्नकर्ता : मेरी छोटी बेटी पूछती है कि, ऐसे ही कैसे शादी करें, फिर तो सारी जिंदगी बिगड़ जाए न? पहले लड़के को अच्छी तरह देख लें और मालूम कर लें कि लड़का अच्छा है कि नहीं, बाद में शादी कर सकते हैं न! ऐसा मुझे प्रश्न किया करती है। तो इसका सोल्युशन क्या है, दादाजी? ८६ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार दिक्कत है?' तब कहे, 'नहीं, और कुछ नहीं।' इस पर मैंने कहा, 'तू हाँ कर दे, फिर मैं उसे उजला कर दूंगा।' फिर वह लड़की उसके पापा से कहने लगी कि, 'आप दादाजी तक शिकायत ले गए?' तब क्या करें फिर? शादी के बाद मैंने पूछा, 'बहन, उजला करने के लिए साबुन मँगा दूँ क्या?' तब उसने कहा, 'नहीं दादाजी, उजला ही है।' बिना वजह ब्लैकिश. ब्लकिश करती थी! वह तो कुछ काला लगायें तो काला नज़र आये और पीला लगायें तो पीला दिखेगा। वास्तव में लड़का अच्छा था। मुझे भी अच्छा लगा। उसे कैसे जाने दें? लडकी क्या समझी, ज़रा-सा ढीला है। ठीक कर लेना फिर, लेकिन ऐसा दूसरा नहीं मिलेगा! __प्रश्नकर्ता : क्या डेटींग करना पाप है? डेटींग यानी ये लोग लड़के लड़कियों के साथ बाहर जाएँ और लड़कियाँ लड़कों के साथ बाहर जाएँ, तो क्या वह पाप है? उसमें कुछ हर्ज है? दादाश्री : हाँ, लड़कों के साथ घूमने की इच्छा हो तो शादी कर लेना। फिर एक ही लड़का पसंद करना, एक निश्चित होना चाहिए। अन्यथा ऐसा गुनाह नहीं करना चाहिए। जब तक शादी न हो जाए, तब तक तुम्हें लड़कों के साथ घूमना नहीं चाहिए। प्रश्नकर्ता : यहाँ अमरीका में तो ऐसा है कि लड़के-लड़कियाँ चौदह साल के होने पर बाहर घूमने जाते हैं। फिर मेल हो तो उसमें आगे बढ़ते है। उसमें से कुछ बिगड़ जाए, एक-दूसरे का मेल न हो तो फिर दूसरे के साथ घूमते हैं। उसके साथ नहीं जमा तो फिर तीसरा, ऐसे चक्कर चलता रहता है और एक साथ दो-दो, चार-चार के साथ भी घूमते हैं। दादाश्री : देट इज वाईल्डनेस, वाईल्ड लाइफ! (ये तो जंगलीपन है, जंगली जीवन!) प्रश्नकर्ता : तब उन लोगों को क्या करना चाहिए? दादाश्री : लड़की को एक लड़के के प्रति सिन्सियर (वफादार) दादाश्री : सब देखकर ही शादी करते हैं और बाद में मारामारीदंगा फसाद होता है। जिसने देखे बगैर शादी की, उनका बहुत अच्छा चलता है। क्योंकि कुदरत का दिया हुआ है और वहाँ तो अपना सयानापन दिखाया है न। हमारे एक महात्मा की लड़की ने क्या किया? अपने पिता से कहा कि, 'मुझे यह लड़का पसंद नहीं।' अब लड़का पढ़ा-लिखा था। अब वह लड़का, लड़की का माँ-बाप सबको पसंद आया था। इसलिए उसके पिताजी को व्याकुलता हो गई कि बड़ी मुश्किल से ऐसा अच्छा लड़का मिला है और यह लड़की तो 'ना' कहती है। फिर उसने मुझसे पूछा तब मैंने कहा, 'उस लड़की को मेरे पास बुलाओ।' मैंने कहा, 'बहन, मुझे बता न! क्या हर्ज है? लम्बा लगता है? मोटा लगता है? पतला लगता है?' तब कहे, 'नहीं, थोड़ा ब्लैकिश (काला) है।' मैंने कहा, 'वह तो मैं उजला कर दूंगा, और कुछ तुझे
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
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