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________________ माता-पिता और बच्चों का व्यवहार ___ अब घर के सभी लोगों को तेरे कारण आनंद हो ऐसा रखना। तुझे इनके कारण दु:ख हो तो उसका समभाव से निबटारा करना और तुझ से उन सबको आनंद हो ऐसा रखना। फिर उन लोगों का प्रेम देखना तू, कैसा प्रेम है? यह तू प्रेम ब्रेकडाउन कर (तोड़) डालता है। उन लोगों का प्रेम हो और उस पर तू पत्थर डालता रहे तो सारा प्रेम टूट जाएगा। प्रश्नकर्ता : बुजुर्ग ही क्यों ज़्यादा गरम हो जाते हैं? दादाश्री : यह तो गाड़ी खटारा हो गई हो, गाड़ी पुरानी हो गई हो तब रोज़ गरम हो जाती है। अगर नयी गाड़ी हो तो गरम नहीं होती। इसलिए बुजुर्ग बेचारों को क्या ....(उम्र होने के कारण नई पीढ़ी के साथ एडजस्टमेन्ट नहीं ले पाते और टकराव होता रहता है।) गाड़ी गरम हो जाए तो उसे हमें ठंडी नहीं करनी पड़ती? बाहर किसी के साथ कुछ अनबन हो गई हो, रास्ते में पुलिसवाले के साथ, तब चेहरा इमोशनल (भावुक) हो गया हो, तब तुम चेहरा देखो तो क्या कहो? 'तुम्हारा मुँह जब देखो तब उतरा हुआ रहता है, हमेशा लटका हुआ।' ऐसा नहीं बोलना चाहिए। हमें समझ लेना है कि किसी मश्किल में हैं। इसलिए फिर हम यूँ ही गाड़ी को ठंडा करने के लिए नहीं रोकते? बुजुर्गों की सेवा करना तो सबसे बड़ा धर्म है। युवाओं का धर्म क्या? तब कहे, बुजुर्गों की सेवा करना। पुरानी गाड़ी को धकेलकर ले जाना और तभी जब हम बुड्ढे होंगे तब हमें धकेलनेवाले मिलेंगे। यह तो देकर लेना है। हम वृद्धों की सेवा करें तो हमारी सेवा करनेवाले युवा आ मिलेंगे और हम वृद्धों को धमकाते फिरें तो हमें धमकानेवाले आ मिलेंगे। फिर आपको जो करना हो, करने की छूट है। १७. पत्नी का चुनाव जो योजना बनी है, उसमें कोई परिवर्तन होनेवाला नहीं है ! जो शादी करने की योजना हुई है और अभी हम तय करें कि मुझे शादी नहीं करनी माता-पिता और बच्चों का व्यवहार है तो वह अर्थहीन बात है। उसमें आपका कुछ चलेगा नहीं और शादी तो करनी ही पड़ेगी। प्रश्नकर्ता : इस जन्म में हमने जो भावना की हो, वह अगले जन्म में फलेगी न? दादाश्री : हाँ, इस जन्म में भावना करें तो अगले जन्म में फलती है। पर अभी तो उसका छुटकारा ही नहीं! वर्तमान में उसमें किसी का नहीं चलता न! भगवान भी रोकने जाएँ कि शादी मत करना, तब भगवान की भी वहाँ पर नही चलेगी! पिछले जन्म में शादी करने की योजना की ही नहीं, इसीलिए शादी का संयोग आता नहीं। जो योजना की होगी वही आयेगी। जैसे संडास गए बिना किसी को नहीं चलता, वैसे ही शादी किए बिना चले ऐसा नहीं है ! तेरा मन कुँआरा है, तो हर्ज नहीं है। लेकिन जहाँ मन शादी-शुदा है, वहाँ शादी किए बिना नहीं चलता और किसी के सहारे के बिना मनुष्य नहीं रह सकता। सहारे के बिना कौन रह सकता है? 'ज्ञानीपुरुष' अकेले ही। दूसरा कोई नहीं हो वहाँ पर भी। क्योंकि खुद निरालंब हुए हैं। किसी अवलंबन की उन्हें जरूरत ही नहीं है। ___ मनुष्य बेचारे बिना सहारे के नहीं जी सकते। बीस लाख रुपये का बड़ा बंगला हो और रात को अकेले सोने को कहें तो? उसे सहारा चाहिए। मनुष्यों को सहारा चाहिए, इसलिए तो शादी करते है न! शादी की प्रणाली कुछ गलत नहीं है। यह तो कुदरत का नियम है। इसलिए शादी करने में सहज प्रयत्न रखना, मन में भावना रखना कि अच्छी जगह शादी करनी है, फिर वह स्टेशन आने पर उतर जाना। स्टेशन आने से पहले दौड़-धूप करें तो क्या हो? तुझे पहले दौड़-धूप करनी है? प्रश्नकर्ता : नहीं, स्टेशन आये तब। दादाश्री : हाँ, स्टेशन को हमारी गरज है और हमें स्टेशन की गरज
SR No.009593
Book TitleMata Pita Aur Bachho Ka Vyvahaar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2009
Total Pages61
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size38 KB
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