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________________ कर्म का सिद्धांत कर्म का सिद्धांत प्रश्नकर्ता : आपका यह सवाल बहुत कठिन है। कई जन्मों से कर्म का चक्कर चल रहा है। कर्म की theory समझाईए। दादाश्री : रात को ग्यारह बजे आपके घर कोई गेस्ट आये, चारपाँच आदमी, तो फिर आप क्या बोलते है कि, 'आइए, आइए, इधर बैठिये' और अंदर क्या चलता है, 'ये अभी कहाँ से आ गया, इतनी रात को', ऐसा नहीं होता? आपको पसंद न हो तो भी आप खुश होते हो वो सब कर्म है। जिसको लोग देख सकते है, वो कर्म का फल इधर ही भुगतना पड़ता है। और वो कर्म करने के time जो राग-द्वेष उत्पन्न होता है, वो अगले भव में भुगतना पडता है। राग-द्वेष है वो सूक्ष्म बात है, वो ही योजना है। फिर योजना रूपक में आ जायेगी, जो कागज पे है, ड्रोइंग में है, वो रूपक में आ जायेगी और रूपक में जो आया वो कर्म है। जो दूसरा आदमी देख सकता है कि इसने गाली दीया, इसने मारा, इसने पैसा नहीं दिया, वो सभी इधर का इधर ही भोगने का। देखो, मैं तुमको बात बताऊँ कि ये किस तरह से चलता है! न? प्रश्नकर्ता : नहीं, मन में उसके पर गुस्सा आता है। दादाश्री: और बाहर से अच्छा रखते हो?! हाँ. तो वो ही कर्म है। बाहर जो रखते हो, वो कर्म नहीं है। अंदर जो होता है. वो ही कर्म है। वो cause है, उसकी effect आयेगी। कभी ऐसा होता है कि तुम्हारी सास पे गुस्सा आता है? प्रश्नकर्ता : मन में तो ऐसा बहुत होता है। दादाश्री : वो ही कर्म है। वो अंदर जो होता है न, वो ही कर्म है। कर्म को दूसरा कोई नहीं देख सकता है। और जो दूसरा देख सकता है, तो वो कर्मफल है। मगर दुनिया के लोग तो, जो आँख से दिखता है कि तुमने गुस्सा किया, उसको ही कर्म बोलते है। तमने गस्सा किया, इसलिए तुमको सास ने मार दिया, उसको ये लोग कर्म का फल आया ऐसा बोलते है न। एक तेरह साल का लडका है। उसका Father बोले कि. 'तम होटल में खाने को क्यों जाता है? तुम्हारी तबियत खराब हो जायेगी। तुमको कुसंग मिला है, तुमको ये करना अच्छा नहीं।' ऐसा बाप बेटे को बहुत डाँटता है। लडके को भी अंदर बहुत पश्चाताप हो जाता है और निश्चय करता है कि अभी होटल में नहीं जाऊँगा। मगर वो कुसंगवाला आदमी मिलता है, तब सब भूल जाता है या तो होटल देखी कि होटल में घुस जाता है। वो उसकी मरजी से नहीं करता। वो उसके कर्म का उदय है। अपने लोग क्या बोलते है कि खराब खाता है। अरे, ये क्या करेगा बिचारा ! उसके कर्म के उदय से ये बिचारे को होता है। आपको उसे बोलने का छोड देने का नहीं है। Dramatic बोलने का कि 'बाबा, ऐसा मत करो, तुम्हारी तबियत खलास हो जायेगी।' मगर वहाँ तो सच्चा बोलता है कि 'नालायक है, बदमाश है' और मारता है। ऐसा नहीं करने का। इससे तो you are unfit to be a father. Fit तो होना चाहिए न? वो Unqualified Father & Mother क्या चलते हैं? qualified नहीं होना चाहिए? प्रश्नकर्ता: इस जन्म में जो भी राग-द्वेष होते है. उसका फल ये जन्म में ही भुगतना पडता है कि अगले जन्म में भुगतना पडता है? जो भी हम अच्छे कर्म करते है, बुरे कर्म करते है, उसका ये जन्म में ही फल मिलता है कि अगले जन्म में फल मिलता है? दादाश्री : ऐसा है, अच्छा किया, बुरा किया, वो कर्म है। उसका फल तो ये जन्म में ही भुगतना पड़ता है। सब लोग देखता है कि इसने ये बुरा कर्म किया, ये चोरी किया, इसने लुच्चाई किया, इसने दगा किया, ये बच्चा जो खाता है, उसको अपने लोग बोलते है, कि 'उसने कर्म बांधा।' अपने लोगों को आगे की बात समझ में नहीं आती। सच में तो, बच्चे से उसकी इच्छा के विरुद्ध हो जाता है। मगर ये लोग उसको कर्म बोलते है। उसका जो फल आता है, उसको पेचिश, Dysentery होता है, तो बोलते है कि 'तुमने ये कर्म खराब किया था, कि होटल
SR No.009588
Book TitleKarma Ka Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size274 KB
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