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________________ कर्म का सिद्धांत लगती है। आखी जिंदगी में आप जो भी कुछ करता है, उसका जिम्मेदार कोई नहीं है। जन्म से लेकर 'last station' तक जो कुछ किया, उसकी जिम्मेदारी तुम्हारी है ही नहीं। मगर तुम खुद ही जिम्मेदारी लेता है कि, 'ये मैं ने किया, ये मैं ने किया, मैं ने खराब किया, मैं ने अच्छा किया।' ऐसे खुद ही जोखिमदारी लेता है। प्रश्नकर्ता : कोई श्रीमंत होता है, कोई गरीब होता है, कोई अनपढ़ होता है, ऐसा उसका होना वह किस पे है? कर्म का सिद्धांत Responsible कौन ? प्रश्नकर्ता : जब दूसरी शक्ति हमसे कराती है तो ये कर्म जो हम गलत करते है, वो कर्म के बंधन मुझे क्यों लगते है? मुझसे तो करवाया गया था? दादाश्री : No body is responsible. वो कर्म का कितना जोखिमदार है? वो 'हमने किया ऐसा बोलता है, इतना ही जोखिमदार है, दूसरा कुछ नहीं। हमने किया ऐसा egoism करता है, इतना जोखिमदार है। ये जो जानवर है, वो सब जोखिमदार है ही नहीं, क्योंकि वो egoism करते ही नहीं है। ये बाघ है न, वो इतने सारे जानवर मार डालता है, खा जाता है मगर उसको जोखिमदारी नहीं है। बिलकुल no responsibility. मगर आदमी तो. 'मैं ने ये किया, मैं ने वो किया' कहता है, 'मैं ने बुरा किया, मैं ने अच्छा किया' ऐसा egoism करता है और सब जिम्मेदारी सिर पे लेता है। बिल्ली इतने चुहे खा जाती है, मगर उसको जोखिमदारी नहीं। No body is responsible execpt mankind. Carita ft responsible नहीं है। दादाश्री : क्योंकि आप जिम्मेदारी स्वीकारते है कि 'ये मैं ने किया।' और हम ये जोखिमदारी नहीं लेते है, तो हमको कोई गुनहगारी नहीं है। आप तो कर्ता है। मैं ने ये किया. वो किया, खाना खाया, पानी पिया, ये सबका मैं कर्ता हूँ,' ऐसा बोलता है ने आप? इससे कर्म बांधता है। कर्ता के आधार से कर्म बांधता है। कर्ता खुद नहीं है। कोई आदमी कोई चीज में कर्ता नहीं है। वो तो खाली egosim करता है कि 'मैं ने किया। दुनिया ऐसे ही चल रही है। 'हमने ये किया, हमने लडके की शादी की' ऐसी बात करने में हरकत नहीं। बात तो करना चाहिए, मगर ये तो egoism करता है। __ 'आप रविन्द्र है', वो गलत बात नहीं है। वो सच्ची बात है। मगर relative में सच्चा है, not real और आप real है। Relative सापेक्ष है और Real निरपेक्ष है। आप खुद निरपेक्ष है और बोलते हो, कि 'मैं रविन्द्र हैं। फिर आप 'relative' हो गये| All these relative are temporary adjustments. ये चोरी करता है, दान देता है, वो सब भी परसत्ता कराती है और वो खद ऐसा मानता है कि 'मैं ने किया। तो फिर इसकी गुनहगारी इधर आपको संपूर्ण सत्य जानने को मिलेगा। ये gilted सत्य नहीं है, complete सत्य है। हम 'जैसा है वैसा' ही बोलते है। दुनिया ऐसे ही चल रही है। वो egoism करता है, इसलिए कर्म बाँधता है। कर्मबंध, कर्तव्य से या कर्ताभाव से? प्रश्नकर्ता : मगर ऐसे कहा है न कि कर्म और कर्तव्य से ही
SR No.009588
Book TitleKarma Ka Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size274 KB
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