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________________ कर्म का सिद्धांत कर्म का सिद्धांत जहाँ तक आदमी कर्मयोग में है, वहाँ तक भगवान को स्वीकार करना पडेगा कि हे भगवान, आपकी शक्ति से मैं करता हैं। नहीं तो 'मैं कर्ता हूँ' वह कहाँ तक बोलता है? जब कमाता है, वो बोलता है, 'मैं ने कमाया' मगर घाटा (नुकसान) होता है, तो 'भगवानने घाटा कर दिया' बोलेगा। मेरे पार्टनर ने किया', नहीं तो 'मेरे ग्रह ऐसे है, भगवान रूठा है, ' ऐसा सब गलत बोलता है। ऐसा नहीं बोलना चाहिए, भगवान के लिए। वो सब ही भगवान करता है, ऐसा समजकर निमित्त रूप में काम करना चाहिए। कर्मयोग क्या है? भगवान कर्ता है, मैं उसका निमित्त हूँ। वो जैसा बताता है ऐसा करने का। उसका अहंकार नहीं करने का। इसका नाम कर्मयोग। कर्मयोग में तो, सब काम अंदर से बताता है, ऐसा ही आपको करने का। बाहर से कोई डर नहीं रहना चाहिए कि लोग क्या बोलेगें और क्या नहीं। सब कुछ भगवान के नाम से ही करने का। हमें कुछ नहीं करने का। हमें तो निमित्त रूप से करने का। हम तो भगवान के हथियार है, ऐसे काम करने का। कर्म, कर्म चेतना, कर्मफल चेतना! दादाश्री : हाँ, तो दूसरा क्या है? पिछले जन्म का जो कर्म है, उसका ये जन्म में फल मिलता है। तुमको नहीं चाहिए तो भी फल मिलता है। उसका फल दो प्रकार का रहता है। एक कडवा रहता है और एक मीठा रहता है। थोडे दिन कडवा फल मिलता है तो वो आपको पसंद नहीं आता और मीठा फल आपको पसंद आ जाता है। इससे दूसरा नया कर्म बांधता है, नये बीज डालता है और पिछे का फल खाता है। प्रश्नकर्ता : इस जन्म में हम जो कर्म करते है, वो अगले जन्म में फिर से आयेंगे? दादाश्री : अभी जो फल खाता है, वो पिछले जन्म का है और जिसका बीज डालते है, उसका फल अगले जन्म में मिल जायेगा। जब किसी के साथ क्रोध हो जाता है, तब उसका बीज खराब (बुरा) पडता है। इसका जब फल आता है, तब अपने को बहुत दुःख होता है। प्रश्नकर्ता : पिछला जन्म है कि नहीं, वह किस तरह मालूम होता है? प्रश्नकर्ता : अपना कर्म कौन लिखता है? दादाश्री : अपने कर्म को लिखनेवाला कोई नहीं है। ये बडे बडे computer होते है, वो जैसा result देता है, उसी तरह ऐसे ही तुमको कर्म का फल मिलता है। दादाश्री : स्कूल में तुम पढ़ते है, उसमें सभी लडकों का पहेला नंबर आता है या किसी एक का पहेला नंबर आता है? प्रश्नकर्ता : किसी एक का ही आता है। दादाश्री : कोई दूसरे भी नंबर आते है? प्रश्नकर्ता : हाँ। दादाश्री : ये change क्युं है? सब एकसरीखा क्यों आता नहीं? प्रश्नकर्ता : जो जितना पढता है, उतने ही उसको marks मिलते है। कर्म तो क्या चीज है? जो जमीन में बीज डालता है, उसको कर्म बोला जाता है और उसका जो फल आता है, वो कर्मफल है। कर्मफल देने का सब काम Computer की माफिक machinery करती है। Computer में जो भी कुछ डालता है, उसका जवाब मिल जाता है, वो कर्मफल है। इसमें भगवान कुछ करता नहीं है। प्रश्नकर्ता : पिछले जन्मों के कर्म से ऐसा सब होता है? दादाश्री : नहीं, कई लोग तो ज्यादा पढते भी नहीं, तो भी फर्स्ट
SR No.009588
Book TitleKarma Ka Vigyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size274 KB
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