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________________ जगत कर्ता कौन? जगत कर्ता कौन? है और भगवान ही सब चलाता है और आपको क्या करना वो भी बता देंगे कि कुछ खराब हुआ तो भगवान की मर्जी बोल दो। नुकसान हुआ तो भी भगवान की मर्जी और फायदा हुआ तो भी भगवान की मर्जी । बच्चे का जन्म हुआ तो भी भगवान की मर्जी (इच्छा) और बच्चा चला गया तो भी भगवान की मर्जी। ऐसा सब बोलोगे तो आपकी life (जीवन)अच्छी जाएगी। ये रिलेटिव बात बोलते हैं। वो रिअल बात, वास्तविक बात तो नहीं समझ में आ पाएगी, इसलिए ये बात बोलते है। इतनी बात समझ गए कि जो कुछ हुआ वो सब भगवान की मर्जी, तो बहुत हो गया। Creation का कर्ता कौन? आप अध्यात्म संबंध में सारे प्रश्न पूछ सकते हैं। उन सबका solution (समाधान) मिल जाएगा। आपको पज़ल नहीं होता है? हर रोज पूरा दिन सब लोगों को पज़ल ही होता है। ये पज़ल में ही सब लोग dissolve हो गए हैं (उलझ गए हैं)। आपको कुछ पूछना हो तो पूछना, तो हम सब सोल्युशन देंगे। यह world itself puzzle (जगत स्वयं पहेलीरूप) हो गया है। हमने इस पज़ल का सोल्युशन किया है और आपको भी सोल्व कर देंगे। प्रश्नकर्ता : तो फिर हम क्रिएशन के लिए वापिस सोचें कि आखिर क्रिएशन कहाँ से हुआ? तो वो कौन से तत्त्वों से इसका क्रिएशन हुआ? दादाश्री : वो मैंने एक ही बात बताई कि only scientific circumstantial evidence से यह जगत खड़ा हो गया है। Scientific याने गुह्य ! गुह्य एविडन्स, गुह्य संयोगों से, जो अपनी समझ में भी नहीं आएँ, ऐसे संयोगो से ये सब हो गया है। आप इधर हमको आज मिले तो आपको क्या लगता है? कि हम वहाँ गए और हमको 'ज्ञानी पुरुष' मिले। दो ही बात आप बोलेंगे। मगर उसके पीछे तो hundred बात (बहुत सारे संयोग) हैं। आप तो खाली अहंकार करते हैं, 'हम गए।' प्रश्नकर्ता : तो फिर अहंकार नहीं करना हो तो ऐसे बोलें कि भगवान की इच्छा थी। दादाश्री : नहीं, वो भगवान की इच्छा नहीं थी। ऐसे भगवान इच्छावाला हो, तो भगवान भिखारी बोला जाता। भगवान तो भगवान हैं, वीतराग हैं। उसको कोई इच्छा नहीं होती। भगवान के पास कोई चीज़ की कमी नहीं है। जगत चलाने में इच्छा किसकी? God is in every creature whether visible or invisible, not in creation. भगवान क्रिएचर (creature) में है, क्रिएशन (creation) में नहीं है। प्रश्नकर्ता : एक विचार ऐसा है कि भगवान की इच्छा के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता। प्रश्नकर्ता : क्रिएशन कहाँ से आया? दादाश्री : क्रिएशन तो आदमी के egoism (अहंकार) से उत्पन्न हुआ है। सब कुछ अहंकार से उत्पन्न हुआ है, कोई बनानेवाला नहीं है। जगत में छ: सनातन तत्त्व हैं, इनके विशेष परिणाम से ये जगत खड़ा हो गया है। दादाश्री : तो चोर चोरी करता है वो भी भगवान की इच्छा से करता है? भगवान की मर्जी के बिना ये सब हिलता ही है न? पत्ता तो क्या ये पेड़ भी हिलते हैं। अरे, ये भूकंप भी होता है। ये सब क्या भगवान की मर्जी से होता है? प्रश्नकर्ता : जितना अच्छा होता है वो सिर्फ भगवान की इच्छा से होता है। बुरा होता है तो, उसमें भगवान की इच्छा नहीं रहती उसमें।
SR No.009587
Book TitleJagat Karta Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2008
Total Pages27
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size244 KB
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