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________________ ज्ञानी पुरुष की पहचान ज्ञानी पुरुष की पहचान मेरे को नहीं। वो बच गया। छह महिने बिस्तर में था मगर एक मिनीट भी पीस ओफ माइन्ड नहीं गया। ऐसा एक्सपिरीयन्स होना चाहिये। अनुभव बिना क्या करने का? कोई अवतार में ऐसी बात होती ही नहीं। ये बात अपूर्व बोली जाती है। पहले कभी सुनने में नहीं आयी हो ,पढ़ने में नहीं आयी हो। दादाश्री : आप आत्मा में ही रहेंगे। हम पच्चीस साल से आत्मा में ही रहते है। This body is my first neighbour. I am not the owner of this body and this is the public trust! प्रश्नकर्ता : अपनी आत्मा में ही रहे, मगर ये आत्मा तो भटकेगी न? दादाश्री : नहीं, वो भटकेगी नहीं। वो निरंतर समाधि में ही रहती है। पच्चीस साल से हमारी समाधि नहीं गयी. एक मिनीट भी नहीं गयी। फिर भटकने का है ही नहीं। फिर अपने अपनी स्पेस में चले जाने का। वो परमेनन्ट स्पेस है, वहाँ जाने का। वही मोक्ष है। प्रश्नकर्ता : उसका अनुभव होना चाहिये, कहने से क्या होता है? दादाश्री : हाँ, अनुभव तो आप इधर बैठे है, तभी से अंदर अनुभव शुरू हो गया है लेकिन आपको इसका खयाल नहीं रहता है। अनुभव तो होना चाहिये। बिना अनुभव तो क्या करने का? वो आईस्क्रीम खाते है तो वो भी ठंडा लगता है, तो ये 'ज्ञानी पुरुष' मिले तो, वो एक घंटे में मोक्ष देते है। फिर कभी चिंता नहीं होगी। प्रश्नकर्ता : वो अनुभव हमें कहोगे। दादाश्री : वो अनुभव तो हम जब करवाते है, वो ही दिन से आता है। अनुभव में नहीं आये तो फिर क्या काम का? अनुभव में नहीं आये तो वो सभी कल्पित बातें है, सच्ची बात नहीं है। अनुभव तो होना ही चाहिये। 'ज्ञानी पुरुष' देते शुद्ध चेतन निपेक्षित वो सार है। - नवनीत। 'ज्ञानी पुरुष' जब आत्मा देते है, वो ही निपेक्षित सार है। ज्ञानी पुरुष' का अपना खुद का मोक्ष हुआ है, इसलिए दूसरे को मोक्ष देते है। वो मोक्ष का दान देने को आये है। उन्हें मोक्षदाता बोला जाता है। ये क्रिश्चीयानिटी वो दिवादांडी है, ये मोमेडीयन वो दिवादांडी है, ये हिन्दु धर्म वो भी दिवादांडी है। कोई बड़ी है, कोई छोटी है मगर सब दिवादांडी है। दिवादांडी को क्या बोलता है? प्रश्नकर्ता : लाईट हाउस ! दादाश्री : हाँ, तो सब लाईट हाउस है और हम तो सारी दुनिया की ओब्जर्वेटरी है। हम सारी दुनिया का सायन्स ओपन कर देंगे। वो सायन्टीस्ट को भी ये सब बता देंगे, फिर सब सायन्टीस्ट मान लेंगे। सच्ची बात को सायन्टीस्ट भी कबूल करते है, सब लोग कबूल करते है। वो फोरेन के सब सायन्टीस्ट है, वो जहाँ तक जानते है उससे आगे की बात क्या है, वो हमको पूछेगा तो हम बता देंगे। हमारी जो बातें है, वो फोरेन में कौन समझेगा? जो सायन्टीस्ट है, वो हमारी बात समझ जाते है। वो डेवलप्ड होते है। हम तो बोलते है कि सारी दुनिया के सायन्टीस्ट को इक्टठे कर दो, हम सब बता देंगे कि दुनिया क्या है, कैसी चीज है। सब मानसशास्त्री को भी इक्टठे कर दो, तो हम वो बता देंगे कि माइन्ड कैसे हो गया! सब लोग जो देखते है, वो तो माइन्ड का पर्याय देखते है मगर माइन्ड क्या है, किस तरह हो गया, किस तरह से लय होता है, वो सब बात हम बता देंगे। रविन्द्र नाम का अपने यहाँ एक महात्मा था। वह एसिड से जल गया था। तो सब डाक्टर लोग बोलने लगे कि 'ये आदमी तीन घंटे में मर जायेगा।' उसको सायकोलोजी इफेक्ट क्या होगी कि मैं जल गया हूँ, मेरे को हो गया है लेकिन उसको ये ज्ञान दिया था, वो अनुभव ज्ञान था। तो उसको ऐसा लगा कि 'मेरे' को कुछ नहीं हुआ है, 'रविन्द्र' को ही हआ है। वह डाक्टर को भी बोलता था कि रविन्द्र को ऐसा हो गया है. 96 is the answer. कोई बोले कि दो रकम की तलाश करो
SR No.009585
Book TitleGyani Purush Ki Pahechaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherDada Bhagwan Foundation
Publication Year2003
Total Pages43
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size325 KB
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