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________________ दादा भगवान? 'अक्रम विज्ञान' और अहंकार का 'कोमा' (अल्प विराम) उसका नाम 'क्रमिक विज्ञान'। यह अक्रम विज्ञान आंतरिक विज्ञान कहलाता है, जो खुद को सनातन सुख की ओर ले जाता है। अर्थात् अपना सनातन सुख प्राप्त करवाये, वह आत्म विज्ञान कहलाये। और यह जो टेम्पररी एडजस्टमेन्टवाला सुख दिलाये, वह सारा बाह्य विज्ञान कहलाये। बाह्य विज्ञान अंतत: विनाशी और विनाशकारी है और 'यह' (अक्रम विज्ञान) सनातन है और सनातन बनानेवाला है! दादा भगवान? (१) ज्ञान कैसे और कब हुआ? अक्रम की यह लब्धि हमें प्राप्त हुई प्रश्नकर्ता : आपश्री को जो ज्ञान प्राप्त हुआ, वह कैसे प्राप्त हुआ? दादाश्री : यह हमें प्राप्त हुई लब्धि है। प्रश्नकर्ता : नैसर्गिक रूप से? यह नैचुरली (कुदरत के क्रम से) प्राप्त हुआ है? दादाश्री : हाँ, दीस इज बट नेचरल! प्रश्नकर्ता : आपकी यह जो उपलब्धि है, वह भी सूरत के स्टेशन पर हुई, ऐसी हर एक को नहीं होती, आपको हुई, क्योंकि आपने भी क्रमिक मार्ग पर धीरे-धीरे कुछ किया होगा न? दादाश्री : बहुत कुछ, सब कुछ क्रमिक मार्ग से ही किया था, पर उदय अक्रम के रूप में आया। क्योंकि केवलज्ञान में अनुत्तीर्ण हुए! परिणाम स्वरूप उदय में यह अक्रम आकर खड़ा रहा! ज्ञानाग्नि से पाप भस्म प्रश्नकर्ता : वह प्रक्रिया क्या है कि जो एक घंटे में मनुष्य को चिंता मुक्त करवा सके? उसमें कोई चमत्कार है? कोई विधि है ? दादाश्री : कृष्ण भगवान ने कहा है कि ज्ञानी पुरुष ज्ञानाग्नि से सारे पापों को जलाकर खाक कर दें! उस ज्ञानाग्नि से हम पापों को जलाकर खाक कर देते हैं और फिर वह चिंता मुक्त हो जाता है। प्रकाश में कहीं कोई फर्क नहीं प्रश्नकर्ता : क्या आप भगवद् गीता की थ्योरी में मान्यता रखते हैं? दादाश्री : सभी थ्योरियाँ मान्य रखता हूँ! क्यों नहीं मानूँगा? वह भगवद् गीता की थ्योरि सब एक ही है न ! इसमें डिफरन्स (फर्क) नहीं है। हमारी थ्योरि और उसमें डिफरन्स नहीं है। प्रकाश में फर्क नहीं है, पद्धति का फर्क है यह ! ज्ञान का प्रकाश तो समान ही है। ये अन्य मार्ग और इस मार्ग का, सनातन मार्ग का जो ज्ञान प्रकाश है वह तो समान ही है पर उसकी पद्धति अलग है। यह अलौकिक पद्धति है, एक घंटे में मनुष्य स्वतंत्र हो जाता है। विदिन वन अवर' चिंता रहित हो जाता है। साधना, सनातन तत्त्व की ही प्रश्नकर्ता : आपने पहले उपासना या साधना की थी? दादाश्री : साधना तो तरह तरह की की थी। पर मैं कोई ऐसी साधना क्रम-अक्रम का भेद प्रश्नकर्ता : पहले यह समझना है कि 'अक्रम विज्ञान' क्या है? दादाश्री : अहंकार का 'फुल स्टॉप' (पूर्ण विराम) उसका नाम
SR No.009584
Book TitleDada Bhagvana Kaun
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2007
Total Pages41
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size283 KB
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