SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 30
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आदर्श विल गटर में... बेटी को अमुक प्रमाण में देना। बेटे को देना, पर अमुक प्रमाण में। बाकी आधी पूँजी तो अपने पास ही रहने देनी । अर्थात् प्राईवेट ! जाहिर नहीं करी हो वैसी। दूसरा सब जाहिर करना और कहना कि हम दो जनों को जीवित रहने तक चाहिए न? अर्थात् हमें तरीके से समझदारी के साथ काम करना है। प्रश्नकर्ता : पर मनुष्य मर जाए, उसके बाद का विल कैसा होना चाहिए? दादाश्री: ना, मरने के बाद तो जो है न हमारे पास. ढाई लाख रुपये बचे हैं, वे तो अपनी हाजरी में ही, मरने तक रहने ही नहीं देने। हो सके तो ओवरड्राफ्ट निकलवा लेना। अस्पताल के, ज्ञानदान के, सभी ओवरड्राफ्ट निकलवा लेना और फिर बचे वह बच्चों को देना। वह बचाना भी सही थोड़ा। वह लालच उनकी है न, उस लालच के लिए पचास हजार रखना। फिर दूसरे दो लाख का ओवरड्राफ्ट निकलवा लेना, अगले भव हम क्या करेंगे? यह सभी पिछले अवतार के ओवरड्राफ्ट अभी खर्च करते हो, तो इस अवतार में ओवरड्राफ्ट नहीं निकलवाना पडेगा? हाँ, किसी को हमने दिए नहीं ये। यह लोगों के हित के लिए, लोक कल्याण के लिए खर्च किए, वह है तो ओवरड्राफ्ट कहलाता है। बेटों को देकर तो पछताए हैं। ऐसे पछताए थे न वास्तव में! बेटे का हित कैसे करना, यह हमें समझना चाहिए। इसलिए मेरे पास आकर बातचीत कर लेनी चाहिए। इसलिए मैं कहता हूँ कि धूल में जाए, उसके बजाय किसी अच्छे रास्ते जाए, ऐसा कुछ करो। साथ में काम आएगा और वहाँ तो जाते समय चार नारियल बँधवाएँगे न ! और उसमें भी बेटा क्या कहेगा, 'जरा सस्तेवाले पानी बिना के देना न!' आपके पास यदि ज्यादा हों, तो अच्छे रास्ते पैसे खर्च करना, लोगों के सुख के लिए खर्च करना। उतने ही आपके, बाकी यह तो ऐसा सब नहीं बोलना चाहिए, फिर भी कहते हैं हम! और ऐसे हिसाब चुक जाते हैं प्रश्नकर्ता : एक मनुष्य को हमने पाँचसौ रुपये दिए और रुपये वह लौटा नहीं सका। और दूसरा, हमने पाँच सौ रुपयों का दान दिया। इन दोनों में क्या अंतर है? दादाश्री : यह दान दिया वह अलग वस्तु है। उसमें जो दान लेता है, वह कर्जदार नहीं होता। आपके दान का बदला आपको दूसरी तरह से मिलता है। दान लेनेवाला मनुष्य, वह बदला नहीं देता है। जब कि उसमें तो आप जिसके पास पैसे माँगते हो, उसके द्वारा ही आपको दिलवाना पड़ता है। फिर आख़िर दहेज के रूप में भी वह रुपये देगा। हमारे में नहीं कहते कि लड़का है गरीब परिवार का, पर परिवार खानदानी है, इसलिए पचास हजार उसे दहेज में दो! यह काहे का दहेज देते हैं? यह तो जो बकाया है, वही चुकाते हैं। अर्थात् ऐसा हिसाब है सारा । एक तो बेटी देते हैं और रुपये भी देते हैं। इसलिए, ऐसे सारा हिसाब चुक जाता है। विश्वसनीय कहनेवाला कोई पाँच हजार डॉलर आपके हाथ से छीन ले जाए तो क्या करोगे? प्रश्नकर्ता : ऐसे कई छिन गए हैं। सारी मिल्कियतें भी चली गई हैं। दादाश्री : तो क्या करते हो? मन में कुछ होता नहीं है? प्रश्नकर्ता : कुछ नहीं। दादाश्री : उतना अच्छा, तब तो समझदार हो। छिन जाने के लिए ही आता है। यहाँ नहीं पैठेगा तो वहाँ पैठ जाएगा। इसलिए अच्छी जगह पैठा
SR No.009583
Book TitleDaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages35
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size322 KB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy