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________________ भावना से सुधरे जन्मोजन्म ३३ भावना से सुधरे जन्मोजन्म प्रश्नकर्ता : लोग 'डिस्चार्ज' में ही परिवर्तन चाहते हैं. परिणाम में ही परिवर्तन लाना चाहते हैं। ऐसे जो भाव होते हैं वह भी भावना है, वह भाव नहीं है। वास्तव में भाव वही है जो चार्ज होता है। दादाश्री : हाँ, अर्थात् जगत को यह लक्ष्य मालूम ही नहीं है। इसकी समझ ही नहीं है। मैं उसे (ग़लत) अभिप्राय से मुक्त करना चाहता हूँ। आज 'यह ग़लत है' ऐसा आपका अभिप्राय हो गया, क्योंकि पहले 'यह सही है' ऐसा अभिप्राय था और इसलिए संसार खड़ा रहा है। अब यह ग़लत है' ऐसा अभिप्राय होने पर मुक्त हुआ। अब किसी भी संयोग में फिर यह अभिप्राय बदलना नहीं चाहिए। अर्थात् भावकर्म से यह संसार खड़ा हुआ है। हमसे कोई कार्य नहीं हो, फिर भी भाव तो वह कार्य हो ऐसा ही रखना चाहिए। हमारे यहाँ (अक्रम मार्ग में) भावकर्म (चार्ज) को उड़ा दिया है। बाहर के लोगों को भावकर्म करना चाहिए। इसलिए जिसे जो शक्ति चाहिए, वह शक्ति दादा भगवान के पास माँगनी चाहिए। ___ प्रश्नकर्ता : इस दुनिया के दूसरे लोगों को यह शक्ति माँगनी चाहिए, तो हमारे महात्मा जो शक्ति माँगते हैं, भावना करते हैं, वह किसमें जाता है? दादाश्री : हमारे महात्मा जो माँगते हैं, वह उनके डिस्चार्ज में है। क्योंकि भावना के दो प्रकार है, चार्ज और डिस्चार्ज। जगत के व्यवहार में लोगों को भी भावना होती हैं और यहाँ हमें भी भावना होती हैं पर हमारी भावना डिस्चार्ज के रूप में है और उन्हें चार्ज-डिस्चार्ज दोनों रूप में होती हैं। लेकिन हमें शक्ति माँगने में क्या नुकसान है? ये नौ कलमें रोजाना बोलने से आहिस्ता-आहिस्ता किसी के साथ झगड़ा-टंटा कुछ भी नहीं रहेगा। क्योंकि खुद का भाव टूट चूका है (नहीं रहा है)। अब जो 'रीएक्शनरी' (प्रत्याघाती) है, उतना ही शेष रह गया है। वह आहिस्ता-आहिस्ता कम होता जायेगा। महात्माओं के लिए, वह चार्ज या डिस्चार्ज? प्रश्नकर्ता : भाव और भावना, इन दोनों के बीच में क्या अंतर है? दादाश्री : वे दोनों 'चन्दुभाई' में आ गया। पर आप सही कहते हैं, भाव और भावना में अंतर है। प्रश्नकर्ता : भावना पवित्र होती है और भाव तो अच्छा भी होता या बुरा भी होता है। दादाश्री : नहीं, भावना पवित्र होती है ऐसा नहीं है। भावना तो अपवित्र को भी लागू होती है। किसी का मकान जला डालने की भावना हो सकती है और किसी का मकान बना देने की भावना भी हो सकती है। अर्थात् भावना का उपयोग दोनों ओर हो सकता है। लेकिन भाव चार्ज है और भावना डिस्चार्ज है। हमें जो भीतर होता है कि मुझे ऐसा करना है, वैसा करना है, प्रश्नकर्ता : बाहर के लोग नौ कलमों की शक्ति माँगे, तो वह भाव कहलाता है और महात्मा शक्ति माँगे वह भाव नहीं कहलाता? दादाश्री : बाहर के लोगों के लिए वह भाव कहलाता है और हमारे महात्माओं के लिए यह भावना है। बात सही है, उनको वह भाव कहलाता है, चार्ज कहलाता है और महात्माओं को डिस्चार्ज कहलाता है, भाव नहीं कहलाता। भाव, एक्जेक्ट डिजाइन अनुसार प्रश्नकर्ता : ये नौ कलमो में जैसा कहा है वैसी ही हमारी भावना है, इच्छा है, अभिप्राय है, जीवन है तो चलेगा न?
SR No.009578
Book TitleBhavna Sudhare Janmo Janam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2008
Total Pages25
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Akram Vigyan
File Size253 KB
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