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________________ अहिंसा अहिंसा तोल में? हाँ, भले ही दो तोला!' अरे यह तो कोई लाइफ है? उन जीवों का तोल होता है एकाध तोला! उस तोल के पैसे लिए। उत्तम व्यापार, जौहरी का मतलब पुण्यशाली को कौन-सा व्यापार मिलता है? जिसमें कम से कम हिंसा हो वह व्यापार पुण्यशाली को मिल जाता है। अब ऐसा व्यापार कौन-सा? हीरे-माणिक का, कि जिसमें कोई मिलावट नहीं है। पर उनमें भी जो कि आजकल चोरियाँ ही हो गई हैं। परन्तु जिसे मिलावट बिना करना हो तो कर सकता है। उसमें जीव मरते नहीं, कुछ उपाधी नहीं। और फिर दूसरे नंबर पर सोने-चाँदी का। और सबसे अधिक हिंसावाला व्यापार कौन-सा? यह कसाई का। फिर यह कुम्हार का। वे भट्ठी जलाते हैं न! इसलिए सब हिंसा ही है। प्रश्नकर्ता : चाहे किसी भी चिंता का फल तो मिलता ही है न? हिंसा का फल तो भुगतना ही है न? चाहे फिर भावहिंसा हो या द्रव्यहिंसा हो? दादाश्री : वे लोग भुगतते ही हैं न! सारा दिन तड़फड़ाहट और तड़फड़ाहट.... जितने हिंसक व्यापारवाले हैं न, वे व्यापारी सुखी नहीं दिखते। उनके मँह पर तेज नहीं आता कभी भी। जमीन का मालिक हल नहीं चलाता हो, उसे बहुत छूता नहीं है। जोतनेवाले को छूता है, इसलिए वह सुखी नहीं होता। पहले से नियम है यह सब। इसलिए दिस इज़ बट नेचरल। ये कामधंधे मिलना और ये सब नेचुरल है। यदि आप बंद कर दो न, तब भी वह बंद हो ऐसा नहीं है। क्योंकि उसमें कुछ चले ऐसा नहीं है। नहीं तो इन सभी लोगों के मन में विचार आए कि 'लड़का सेना में जाए और मर जाए तो मेरी बेटी विधवा हो जाएगी।' तब तो हमारे देश में वैसा माल पैदा ही नहीं हो। परन्तु नहीं, वह माल हर एक देश में होता ही है। कुदरती नियम ऐसा ही है। इसलिए यह सब कुदरत ही पैदा करती है। इसमें कुछ नया होता नहीं है। कुदरत का इसके पीछे हाथ है। इसलिए बहुत वैसा रखना मत। संग्रह, वह भी हिंसा प्रश्नकर्ता : व्यापारी नफाखोरी करते हैं, कोई उद्योगपति या व्यापारी मेहनत के सामने कम मेहनताना देते हैं अथवा कोई मेहनत बिना की कमाई हो, तो वह हिंसा कहलाती है? दादाश्री : वह सब हिंसा ही है। प्रश्नकर्ता : अब वह मुफ्त की कमाई करके धर्मकार्य में पैसे खर्च करे, तो वह किस प्रकार की हिंसा कहलाएगी? दादाश्री : जितना धर्मकार्य में खर्च किया, जितना त्याग कर गया, उतना कम दोष लगा। जितना कमाया था, लाख रुपये कमाया था, अब उसने अस्सी हज़ार का अस्पताल बनवाया तो उतने रुपयों की उसकी जिम्मेदारी नहीं रही। बीस हज़ार की ही जिम्मेदारी रही। यानी अच्छा है, गलत नहीं है। प्रश्नकर्ता : लोग लक्ष्मी का संग्रह करके रखते हैं वह हिंसा कहलाएगी या नहीं? दादाश्री : हिंसा ही कहलाएगी। संग्रह करना, वह हिंसा है। दूसरे लोगों के काम नहीं लगती न! प्रश्नकर्ता : लक्जुरियस लाइफ जीने के लिए संहार करके अधिक लक्ष्मी प्राप्त करें तो वह क्या कहलाएगा? दादाश्री : वह गुनाह ही कहलाएगा न! जितना गुनाह हो उतना हमें दंड मिलेगा। जितने कम परिग्रह से जीया जा सके, वह उत्तम जीवन है। सामना, पर शांति से प्रश्नकर्ता : चोरी नहीं करनी, हिंसा नहीं करनी, ऐसा आप कहते हो। तो कोई व्यक्ति अपनी वस्तु चोरी कर ले, वह हमारे साथ धोखा करे। तब हमें उसका सामना करना चाहिए या नहीं?
SR No.009573
Book TitleAhimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDada Bhagwan
PublisherMahavideh Foundation
Publication Year2010
Total Pages59
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Sermon
File Size36 KB
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