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________________ परिशिष्टम् [४] पाल्हणपुत्रकृतआबूरासपद्यानुक्रमणिका ॥ पद्यांशः श्लो०/पृ० । पद्यांशः अइसि ऊदल्लु चंद्रावती २१-१५१ | निवसए बिंबु जो सालह अन्न दिवसि निय मणि १५-१५१ | पणमेविण सामिणि अम्हि धुरि गोट्ठिय २५-१५२ परिवलु दल्ल जो आबुय तलवटे रत्थु ३४-१५३ पुरुव्व पच्छिम धम्मिय आबुय सिहरि संपत्तु ३६-१५३ पूजहि माणिक मोतिय उच्छंगिहि जुगादिजिणु ३७-१५३ बहु आयरिहिं पय? उदल्लु तित्थु [त ]पसीय २४-१५२ बार संवच्छरि छियासियए एह राहु (सु?) विस्तारिहिं ५०-१५४ बीजउ नेमिहिं भुवणु काराविउ निमिभुवण ४५-१५४ महतइ तेजपाल केवि चडाबलि नेमि ४९-१५४ महतिहिं जायवि भेटियओ खंभायति वर नयरि ३१-१५३ महिमंडलि किय जेणि गूजरदेसह मज्झि २-१५० मंदिर थाहर नवि घण वणराहं सजलु ५-१५० मूरति बपु असराज चलिउ ऊदल्लु महाजनि २२-१५१ मूलग्ग पायारधर चालिउ पइठ करिउ २७-१५२ रागु न(त) वद्ध ठाकुरु ऊदल ताव १६-१५१ राजु करइ तहा हिं) त तूठउ धांवलदिवि १९-१५१ रिषभमंदिरु सासणि [ ......]तासु ४२-१५४ रूपा सरिसउ समतुल त्रिग चाचरि चउवट ३-१५० वस्तपालु तसु तणइ थडऊथडइ रहु पाज ३५-१५३ | विमलिहिं ठवियउ दिस( य? )इ आय(ए)सु २०-१५१ | संधु रहिउ जिणि जात धनु धनु विमलडि ९-१५० | सोभनदेउ सुतहारो धवलसुत सुरहि पुत ३३-१५३ | हक्कारहु वर जोइसि नमिवि चिरणाउ थु(पु)णि १०-१५१ | | [ .........] नितु नितु सुरसंघ १४-१५१ श्लो०/पृ० ३२-१५३ १-१५० ११-१५१ ८-१५० ४८-१५४ ४०-१५४ ३९-१५४ १७-१५१ २६-१५२ १८-१५१ १३-१५१ २३-१५२ ४४-१५४ २८-१५२ ४१-१५४ ४-१५० ४६-१५४ २९-१५३ १२-१५१ ७-१५० ४३-१५४ ३०-१५३ ३८-१५३ ४७-१५४ D:\sukar-p.pm5\2nd proof
SR No.009571
Book TitleVastupal Prashasti Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandanbalashreeji
PublisherBhadrankar Prakashan
Publication Year2010
Total Pages269
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size2 MB
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