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________________ ३ पदार्थ विशेष ३३ पढने तथा उनका अर्थ समझने मे सुभीता हो । इसलिए हम यहाँ आपको उन शब्दोके सक्षिप्त अर्थका परिचय देते हैं । चेतन पदार्थको प्राय. आत्मा, ज्ञानी, ज्ञाता, द्रष्टा, जीव, देही, प्राणी आदि नामोसे पुकारा जाता है । इन सर्व शब्दोके यद्यपि भिन्न-भिन्न अर्थ हैं परन्तु वे सब अर्थ उस चेतन पदार्थको ही दर्शाते हैं । इसलिए उसके लिए इन सब नामोका प्रयोग युक्त है । 'चित्' का अर्थ है ज्ञान अर्थात् जानना - देखना । उसीसे चेतन शब्द बना है इसलिए चेतन शब्दका अर्थ है जानने-देखनेवाला । 'अत्' का अर्थ है प्राप्त करना । इसीसे 'आत्मा' शब्द बना है, इसलिए आत्मा शब्दका अर्थ है ज्ञान द्वारा सब कुछ प्राप्त कर लेनेवाला । 'ज्ञान' का अर्थ भी जानना है, इसीसे ज्ञानी शब्द बना है, इसलिए ज्ञानी शब्दका अर्थ भी जाननेवाला है । इसी प्रकार 'ज्ञ' का अर्थ जानना और 'दृश' का अर्थ देखना है । इसीसे ज्ञाता द्रष्टा शब्द बना है, जिसका अर्थ जानने-देखनेवाला ही है । 'जीव' शब्दका अर्थ है जीनेवाला । शरीरोमे यह जानने-देखनेवाला आत्मा ही जीता है इसलिए उस चेतनको जीव कहना युक्त है । इसी प्रकार देहको रखनेवाला सो देही, प्राण धारण करे सो प्राणी । ये बाते भी शरीरधारी आत्मामे ही पायी जाती हैं इसलिए ये सभी नाम उसके लिए युक्त है । 1 परन्तु जैसा कि आगे बताया जायेगा, चेतन व शरीर एक नही हैं। ये दो पृथक् पदार्थ हैं । इनमे से चेतन तो चेतन है ही परन्तु शरीर जड है । इसलिए चेतनके दो रूप हो जाते हैं - एक शरीररहित और एक शरीरसहित । शरीररहित चेतनको आत्मा, ज्ञानी, ज्ञाता, द्रष्टा आदि तो कह सकते है परन्तु जीव, देही, प्राणी आदि नही, क्योकि इन शब्दोका सम्बन्ध शरीरधारी चेतनसे ही है, जैसे कि पहले बताये अर्थोंसे प्रकट होता है । शरीररहित चेतनको ही ३
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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