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________________ पदार्थ विज्ञान लोकके आकार के बीचोबीच मस्तकसे पाँव पर्यन्त जो एक सीधी-सी नाली दिखायी गयी है, उसे त्रस-नाली कहते है, क्योकि स जीव इतने ही भागमे रहते हैं, इससे बाहर नही । इस त्रस नाली मे अपने-अपने योग्य स्थानोमे देव, मनुष्य, तिर्यच तथा नारकी चारो गतिके त्रस तथा स्थावर सब प्रकारके जीव रहते हैं । इस लिए इसे सलोक कहते हैं । परन्तु इसके आजू-बाजूमे ऊपर और नीचे जो चार तकोनें दिखाई देती है, इनमे केवल स्थावर जीव ही पाये जाते हैं, इसलिए उसे स्थावर लोक कहते हैं । इस प्रकार सक्षेप से लोकका विभाग दर्शाया गया । इसका विस्तार बहुत अधिक है जिसे यहाँ बताया जाना सम्भव नही है । ८ श्राकाशके प्रदेश लोक तथा अलोक कितना बड़ा है यह जानने के लिए हमे यदि इसको मापनेकी आवश्यकता पडे तो क्या करें ? किसी भी पदार्थको मानपनेके लिए हमारे पास कोई यूनिट या इकाई होनी चाहिए । यह यूनिट सदा छोटेसे छोटा होता है क्योकि छोटेसे तो बड़ी वस्तु मापी जा सकती है परन्तु बडीसे छोटी वस्तु नही । यूनिटको उत्तरोत्तर गुणा करनेपर बड़े माप भी प्राप्त हो जाते हैं । जैसे इंचको १२ गुणा करनेसे फुट और फुटको तीन गुणा करनेसे गज़ प्राप्त होता है । यद्यपि आजके व्यवहारमे क्षेत्रको मापनेका यूनिट मिलिमीटर है, परन्तु यह भी बहुत बड़ा है । क्षेत्र मापनेका सबसे छोटा यूनिट प्रदेश है । प्रदेश अत्यन्त सूक्ष्म है । एक मिलीमीटरमे असख्यातो प्रदेश होते है । इस प्रदेशको निकालनेके लिए पहले 'जीव- पदार्थ' नामक अधिकारमे जीवको मापनेके लिए जो किया गया था वही यहाँ भी करना है। किसी भी पदार्थकी लम्बाईचौड़ाई या उसका आकार वास्तवमे आकाशसे ही मापा जाता है । आकाशके जितने स्थानको घेरकर वह रहता है उसे मापने पर जो २२०
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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