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________________ १९५ ८ युद्गल-पदार्थ है, जैसे-सूक्ष्म कहनेका अर्थ है मध्यम सूक्ष्म अर्थात् सूक्ष्मतर । दोनो शब्दोको आगे-पीछे कहनेसे जघन्य अर्थात् 'साधारण' वाला भेद बनता है, जैसे, 'सूक्ष्म-स्थूल' ऐसा कहने का अर्थ है जघन्य सूक्ष्म या साधारण सूक्ष्म । इस भेदमे इतना ध्यान रखा जाता है कि कौन शब्द पहले कहा जाये और कौन पीछे। जो शब्द पहले कहा जाये, समझो कि उसका अश अधिक है और जो शब्द पीछे कहा जाये उसका अश कम हैं । अत. 'सूक्ष्म-स्थूल' मे सूक्ष्मताका अंश स्यूलताको अपेक्षा अधिक है। इसीलिए इसका अथ जघन्य स्थूल न करके जघन्य सूक्ष्म किया गया । यदि इसी शब्दको बदलकर 'स्थूल-सूक्ष्म' ऐसा कर दिया जाए, तो इसका अर्थ है कि स्थूलताका अश सूक्ष्मतासे कुछ अधिक है, इसीलिए इसका अर्थ होगा जघन्य स्थूल। इस प्रकार उत्कृष्ट स्थूलका नाम है 'स्थूल-स्थूल', मध्यम स्थूलका नाम है 'स्थूल' और जघन्य स्थूलका नाम है 'स्थूल-सूक्ष्म' ( पहले स्थूल फिर सूक्ष्म )। इसी प्रकार उत्कृष्ट सूक्ष्मका नाम है 'सूक्ष्म-सूक्ष्म', मध्यम सूक्ष्मका नाम है सूक्ष्म और जघन्य सूक्ष्मका नाम है 'सूक्ष्म-स्थूल' ( पहले सूक्ष्म फिर स्थूल )। इन्ही नामोको उत्कृष्ट स्थूलतासे क्रमपूर्वक घटाते-घटाते उत्कृष्ट सूक्ष्मता पर्यन्त यदि चिना जाये तो यो होगा-उत्कृष्ट स्थूल, मध्यम स्थूल, जघन्य स्थूल, जघन्य सूक्ष्म, मध्यम सूक्ष्म, उत्कृष्ट सूक्ष्म, या स्थूलस्थूल, स्थूल, स्थूलसूक्ष्म, सूक्ष्मस्थूल, सूक्ष्म, सूक्ष्मसूक्ष्म । क्योकि एकके जघन्यके पश्चात् एकदम दूसरेके उत्कृष्टका नम्बर नही आ सकता। , परस्पर विरोधी होनेके कारण एकके उत्कृष्टसे उसीका जघन्य प्राप्त - हो जानेपर, दूसरेके जघन्यसे प्रारम्भ करके उसके उत्कृष्ट पर्यन्त ले जाना होगा। अब इन्ही उत्कृष्ट तथा जघन्य, स्थूल एवं सूक्ष्म पुद्गलोको
SR No.009557
Book TitlePadartha Vigyana
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherJinendravarni Granthamala Panipat
Publication Year1982
Total Pages277
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size12 MB
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